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"पेड़ / यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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छो (पेड़. / प्रयाग शुक्ल का नाम बदलकर पेड़ / यह एक दिन है / प्रयाग शुक्ल कर दिया गया है)
(कोई अंतर नहीं)

18:24, 1 जनवरी 2010 का अवतरण

हम देखते हैं फूल ।
लिखता है पेड़ भी कुछ धूप में
शब्द रिसते हैं रंगों में ।

एक टहनी का कंठ फूटता है
चिड़िया ।

भुरभुरी मिट्टी, गीली मिट्टी
अचानक सुनती है कुछ
हम सुन नहीं पाते
अचरज से देखते उसे कुछ
सुनते हुए ।
(हज़ारों सालों की स्मृति)

कोशिश करते हम भी ।
कोशिश है कविता ।