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"पैसा, ख़तरा, ख़ून हमारा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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पैसा, ख़तरा, ख़ून हमारा
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सारा लाभ तुम्हारा
  
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मर-मर कर वो जिया सदा
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जो रहा अछूता तुमसे
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चारों खम्भे लोकतंत्र के
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चरण वन्दना करते
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सारी ख़बरों में बजता है
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तुम्हरा ही इकतारा
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नायक, खलनायक, अधिनायक
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खेल-खिलाड़ी सारे
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देव, दैव, इंसान, दरिन्दे
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सब हैं दास तुम्हारे
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मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर में
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गूँज रहा जयकारा
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ऐसा क्या है इस दुनिया में
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जिसे न तुमने जीता
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साम, दाम, और दंड, भेद से
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फल पाया मनचीता
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पूँजी तुम्हरे रामबाण से
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सारा भारत हारा
 
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23:32, 20 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

पैसा, ख़तरा, ख़ून हमारा
सारा लाभ तुम्हारा

मर-मर कर वो जिया सदा
जो रहा अछूता तुमसे
चारों खम्भे लोकतंत्र के
चरण वन्दना करते

सारी ख़बरों में बजता है
तुम्हरा ही इकतारा

नायक, खलनायक, अधिनायक
खेल-खिलाड़ी सारे
देव, दैव, इंसान, दरिन्दे
सब हैं दास तुम्हारे

मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर में
गूँज रहा जयकारा

ऐसा क्या है इस दुनिया में
जिसे न तुमने जीता
साम, दाम, और दंड, भेद से
फल पाया मनचीता

पूँजी तुम्हरे रामबाण से
सारा भारत हारा