भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार की बातें / कीर्ति चौधरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आअो करें प्यार की बातें

दिल जैसे घबराता है

कैसे-कैसे संशय उठते

क्या-क्या मन में आता है


छूट न जाए साथ

जतन से जिसको हमने जोड़ा था

पाने को सान्निध्य तुम्हारा

क्या-क्या छोड़ा-जोड़ा था


समय हमारे बीच बैठकर

टाँक गया कहनी-अनकहनी

भूलें की थी,दर्प किया था

चोटें की थी अौर सहा था


आअो उसे मिटाएँ

फिर से लिखें कहानी

उन यादों की

भूली-बिसरी बातें

मेरी अौर तुम्हारी

जिनसे शुरु किया था जीवन

फिर दुहराएँ


आअो करें प्यार की बातें ।