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"प्यार की बात भी भारी है, इसे कुछ न कहो / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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भाँवरे यों तो हज़ारों के साथ भरती रही
 
भाँवरे यों तो हज़ारों के साथ भरती रही
ज़िन्दगी अब भी कुँवारी है, इसे कुछ न कहो
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ज़िन्दगी अब भी कुँआरी है, इसे कुछ न कहो
  
 
उठ न बैठें, अभी रोते हुए सोये हैं गुलाब   
 
उठ न बैठें, अभी रोते हुए सोये हैं गुलाब   
 
रात किस तरह गुज़ारी है, इसे कुछ न कहो
 
रात किस तरह गुज़ारी है, इसे कुछ न कहो
 
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02:06, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण


प्यार की बात भी भारी है, इसे कुछ न कहो
ज़िन्दगी दर्द की मारी है, इसे कुछ न कहो

चैन आया न घड़ी भर भी हमारे दिल को
अब किसी और की बारी है, इसे कुछ न कहो

आज दुलहन को बुलावा है घर पे साजन के
माँग सखियों ने सँवारी है, इसे कुछ न कहो

भाँवरे यों तो हज़ारों के साथ भरती रही
ज़िन्दगी अब भी कुँआरी है, इसे कुछ न कहो

उठ न बैठें, अभी रोते हुए सोये हैं गुलाब
रात किस तरह गुज़ारी है, इसे कुछ न कहो