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"प्यार यों तो सभी से मिलता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
 
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प्यार यों तो सभी से मिलता है
 
दिल नहीं हर किसीसे मिलता है
 
 
हम सुरों में सजा रहे हैं उसे
 
दर्द जो ज़िन्दगी से मिलता है
 
 
यों तो नज़रें चुरा रहा है कोई
 
प्यार भी बेरुख़ी से मिलता है
 
 
क्या हुआ मिल लिए अगर हम-तुम!
 
आदमी, आदमी से मिलता है!
 
 
हों पँखुरियाँ गुलाब की ही मगर
 
रंग उनकी गली से मिलता है
 
<poem>
 

00:48, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण