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"प्रेम-पांच / ओम नागर" के अवतरणों में अंतर

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प्रेम-
आंधो होता सतां बी
टटोळ ल्ये छै ज्ये
सांस की तताई
पिछाण ल्ये छै ज्ये
प्रीत को असल उणग्यारो।