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प्रेम और पीड़ा का गीत / येहूदा अमिख़ाई / प्रयाग शुक्ल

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जब तक हम साथ थे
कैंची की तरह थे
आते थे काम
एक कैंची की तरह ही

जब से हुए अलग
बन गए फिर से
दो धारदार चाकू

धँसे हुए दुनिया
की देह में
अपनी अपनी जगह