भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रौद्योगिकी की माया / राजेश जोशी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:39, 5 जून 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश जोशी }} अचानक ही बिजली गुल हो गयी<br> और बंद हो गया म...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अचानक ही बिजली गुल हो गयी
और बंद हो गया माइक
ओह उस वक्ता की आवाज का जादू
जो इतनी देर से अपनी गिरफ्त में बांधे हुए था मुझे
कितनी कमजोर और धीमी थी वह आवाज
एकाएक तभी मैंने जाना
उसकी आवाज का शासन खत्म हुआ
तो उधड़ने लगी अब तक उसके बोले गये की परतें