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"प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | ||
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जानता हूँ दूर है नगरी प्रिया की, | जानता हूँ दूर है नगरी प्रिया की, | ||
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पर परीक्षा एक दिन होनी हिया िकी, | पर परीक्षा एक दिन होनी हिया िकी, | ||
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प्यार के पथ की थकन भी तो मधुर है; | प्यार के पथ की थकन भी तो मधुर है; | ||
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प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | ||
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आग ने मानी न बाधा शैल-वन की, | आग ने मानी न बाधा शैल-वन की, | ||
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गल रही भुजपाश में दीवार तन की, | गल रही भुजपाश में दीवार तन की, | ||
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प्यार के दर पर दहन भी तो मधुर है; | प्यार के दर पर दहन भी तो मधुर है; | ||
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प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | ||
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साँस में उत्तप्त आँधी चल रही है, | साँस में उत्तप्त आँधी चल रही है, | ||
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किंतु मुझको आज मलयानिल यही है, | किंतु मुझको आज मलयानिल यही है, | ||
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प्यार के शर की शरण भी तो मधुर है; | प्यार के शर की शरण भी तो मधुर है; | ||
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प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | ||
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तृप्त क्या होगी उधर के रस कणों से, | तृप्त क्या होगी उधर के रस कणों से, | ||
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खींच लो तुम प्राण ही इन चुंबनों से, | खींच लो तुम प्राण ही इन चुंबनों से, | ||
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प्यार के क्षण में मरण भी तो मधुर है; | प्यार के क्षण में मरण भी तो मधुर है; | ||
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प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है। | ||
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21:53, 26 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है।
जानता हूँ दूर है नगरी प्रिया की,
पर परीक्षा एक दिन होनी हिया िकी,
प्यार के पथ की थकन भी तो मधुर है;
प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है।
आग ने मानी न बाधा शैल-वन की,
गल रही भुजपाश में दीवार तन की,
प्यार के दर पर दहन भी तो मधुर है;
प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है।
साँस में उत्तप्त आँधी चल रही है,
किंतु मुझको आज मलयानिल यही है,
प्यार के शर की शरण भी तो मधुर है;
प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है।
तृप्त क्या होगी उधर के रस कणों से,
खींच लो तुम प्राण ही इन चुंबनों से,
प्यार के क्षण में मरण भी तो मधुर है;
प्यार के पल में जलन भी तो मधुर है।