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"फूल के बाद, फलना ज़रूरी लगा / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

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फूल के बाद फलना ज़रूरी लगा,
 
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::दर्द ढलता रहा आँसुओं में मगर
 
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::अपने द्वंद्वों से दो-चार होते हुए,
 
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::हिम की भट्टी में जलना ज़रूरी लगा।
 
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मोम बन कर पिघलना ज़रूरी लगा।
 
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::उनके पैरों से चलकर न मंज़िल मिली,
 
::उनके पैरों से चलकर न मंज़िल मिली,

20:52, 28 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

फूल के बाद फलना ज़रूरी लगा,
भूमिकाएँ बदलना ज़रूरी लगा।
दर्द ढलता रहा आँसुओं में मगर
दर्द शब्दों में ढलना ज़रूरी लगा।
'कूपमंडूक' छवि को नमस्कार कर,
घर से बाहर निकलना ज़रूरी लगा।
अपने द्वंद्वों से दो-चार होते हुए,
हिम की भट्टी में जलना ज़रूरी लगा।
मोमबत्ती से उजियारे की चाह में,
मोम बन कर पिघलना ज़रूरी लगा।
उनके पैरों से चलकर न मंज़िल मिली,
अपने पाँवों पे चलना ज़रूरी लगा।
आदमीयत की रक्षा के परिप्रेक्ष्य में
विश्व-युद्धों का टलना ज़रूरी लगा।