भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बड़े मुस्कुराए / प्रेम भारद्वाज

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:17, 5 अगस्त 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बड़े मुस्कुराए
कई ग़म छुपाए

न जब हाल पूछा
न सपने सुनाए

न शिकवा किसी से
न पीड़ा न हाए

जो तैराक डूबे
उसे क्या बचाए

जमेगी भी महफिल
ज़रा प्रेम छाए