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"बडे आराम से वो क़त्ल करके घूमता है / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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बना है संत  बँगला  कार एसी ढूँढता है 
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तुझे मालूम है  उसकी हक़ीक़त और फ़ितरत
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पुजारी हो के वो भगवान को भी लूटता है
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उसे हर हाल में अपनी तिजोरी सिर्फ़ भरनी
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अरे सोने की वो  चिड़िया है क्या मालूम तुझको
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तेरी औक़ात क्या जो रोज़ उसको घूरता है
 
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20:47, 14 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

बडे आराम से वो क़त्ल करके घूमता है
उसे मालूम है जज भी तो पैसा सूँघता है

बड़ा त्यागी , तपस्वी ख़ुद को सन्यासी बताता
बना है संत बँगला कार एसी ढूँढता है

तुझे मालूम है उसकी हक़ीक़त और फ़ितरत
पुजारी हो के वो भगवान को भी लूटता है

उसे हर हाल में अपनी तिजोरी सिर्फ़ भरनी
दिखाकर देशभक्ती देश को ही चूसता है़

अरे सोने की वो चिड़िया है क्या मालूम तुझको
तेरी औक़ात क्या जो रोज़ उसको घूरता है