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"बरसों हे अंबर के दानी/ गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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तुम बरसो तो जीवन बरसे, सरसें तरसे प्राणी  
 
तुम बरसो तो जीवन बरसे, सरसें तरसे प्राणी  
  
उथलें ताल, नदी-नद उमड़ें, टपके छप्पर-छानी  
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सूखे पेड़ हरे हों फिर से, पाकर नयी जवानी
 
सूखे पेड़ हरे हों फिर से, पाकर नयी जवानी
  
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कभी लुटाते आओ मोती, कभी बहाते पानी
 
कभी लुटाते आओ मोती, कभी बहाते पानी
कभी बरस लो आंसू बनकर, रोये राधा रानी
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कभी बरस लो आँसू बनकर, रोये राधा रानी
  
नाचा किया मोर जंगल में, प्रीति किसी ने जानी!
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नाचा किया मोर जंगल में, प्रीति किसीने जानी!
 
अब जानी जब घर-घर गूँजी 'पिहू-पिहू' की वाणी
 
अब जानी जब घर-घर गूँजी 'पिहू-पिहू' की वाणी
  
झूम-झूम, झुक-झुक कर बरसो, खूब करो मनमानी  
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फिर लहरों पर चले उछलती, मेरी नाव पुरानी
 
फिर लहरों पर चले उछलती, मेरी नाव पुरानी
  

03:23, 22 जुलाई 2011 का अवतरण


बरसों हे अंबर के दानी
तुम बरसो तो जीवन बरसे, सरसें तरसे प्राणी

उथलें ताल, नदी-नद उमड़ें, टपकें छप्पर-छानी
सूखे पेड़ हरे हों फिर से, पाकर नयी जवानी

तोरण-बंदनवार सजाकर भूमि करे अगवानी
मन भीजे, घर-आँगन भीजे, भीजे चूनर धानी

कभी लुटाते आओ मोती, कभी बहाते पानी
कभी बरस लो आँसू बनकर, रोये राधा रानी

नाचा किया मोर जंगल में, प्रीति किसीने जानी!
अब जानी जब घर-घर गूँजी 'पिहू-पिहू' की वाणी

झूम-झूम, झुक-झुककर बरसो, ख़ूब करो मनमानी
फिर लहरों पर चले उछलती, मेरी नाव पुरानी

बरसों हे अंबर के दानी!
तुम बरसो तो जीवन बरसे, सरसें तरसे प्राणी