भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बसंत / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
 
|रचनाकार=दीनदयाल शर्मा
}}
+
}}{{KKAnthologyBasant}}
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}

18:38, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण

खेतां मांय ओढ्यां पीळौ पोमचौ
सरस्यूं हरख मनावै
मोरिया नाचै
अर कोयलड़्यां गीत गावै
मधरी-मधरी चालै
आ' पुरवाई पून
जद आवै
बसंत मेरै गांव
बसंत....
थूं बसज्या नीं
बसंत थूं बसज्या
मेरै गांम।