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"बस इतना ही करना / प्रताप नारायण सिंह" के अवतरणों में अंतर

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बस इतना ही करना कि
 
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मेरे अचेतन मन में जब तुम्हारे होने का भान उठे
 
मेरे अचेतन मन में जब तुम्हारे होने का भान उठे
और मैं तुम्हे निःशब्द पुकारने लगूँ
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तुम मेरी पुकार की प्रतिध्वनि बन जाना
 
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स्मृति की वादियों में जब ठंडी गुबार उठे
 
स्मृति की वादियों में जब ठंडी गुबार उठे
 
और मेरे प्रेम का बदन ठिठुरने लगे
 
और मेरे प्रेम का बदन ठिठुरने लगे
तुम मेरे दीपक कि लौ में समा जाना
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तुम मेरे दीपक की लौ में समा जाना
  
 
बस इतना ही करना कि
 
बस इतना ही करना कि

14:29, 7 नवम्बर 2019 के समय का अवतरण

बस इतना ही करना कि
मेरे अचेतन मन में जब तुम्हारे होने का भान उठे
और मैं तुम्हें निःशब्द पुकारने लगूँ
तुम मेरी पुकार की प्रतिध्वनि बन जाना

बस इतना ही करना कि
सर्द रातों में जब चाँद अपना पूरा यौवन पा ले
और मेरा एकाकीपन उबलने लगे
तुम मुझे छूने वाली हवाओं में घुल जाना

बस इतना ही करना कि
स्मृति की वादियों में जब ठंडी गुबार उठे
और मेरे प्रेम का बदन ठिठुरने लगे
तुम मेरे दीपक की लौ में समा जाना

बस इतना ही करना कि
पीड़ा की तपिश जब कभी मद्धिम पड़ने लगे
और मैं एक पल के लिए भी भूल जाऊँ
तुम मेरे मन की आग बन जाना

बस इतना ही करना कि
मेरी साँसें जब मेरे सीने में डूबने लगें 
और मैं महा-प्रयाण की तैयारी करने लगूँ
तुम मिलन की आस बन जाना