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बस नज़रों से ही तो छिपकर रहता है / के. पी. अनमोल

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बस नज़रों से ही तो छिपकर रहता है
वो जो हर इक दिल के भीतर रहता है

जिसके काँधों पर हो ज़िम्मा दुनिया का
कब दीवारो-दर के अंदर रहता है

मैं भी अक्सर याद उसे कर लेता हूँ
साथ मेरे वो भी तो अक्सर रहता है

उसको मज़हब की सरहद में मत बाँधों
वो तो हर इक हद से ऊपर रहता है

हम चाहें तो उसको बिसरा दें लेकिन
उसको सबका ध्यान बराबर रहता है

प्यार से है अनमोल उसे तो प्यार मगर
उसके नाम पे ख़ूनी मंज़र रहता है!