भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बहिन के विदाय / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:56, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आबी गेलै पालकी, बहिन आबेॅ जइती,
भैया के आँखी में लोर !
गमछी के कोना, लोरोॅ सें भिजलै
सन्नो, मन्नो, मंजु, अंजु सभ्भे कानेॅ लागलै,
बाबुओ के सुखलोॅ छै ठोॅर !
पानी लै केॅ दादी, पीछू में छै खाड़ी,
पालकी में शोभै छै लाल रंग साड़ी,
आँखी पेॅ चलै नै कोनो जोर !
कपसी-कपसी कानै मैयो आरो सखियो,
छोटकी बहिन छोड़ै नै छै आँचर डोलियो,
नेहोॅ सें फाटै छै पोर-पोर !