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"बहुत हमने चाहा कि दिल भूल जाये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारी ही यादों की लौ जल रही थी | तुम्हारी ही यादों की लौ जल रही थी | ||
− | दिवाली के जब भी | + | दिवाली के जब भी दिये जगमगाये |
कभी अपने हाथों सँवारा था तुमने | कभी अपने हाथों सँवारा था तुमने | ||
गुलाब आज तक वैसे खिल ही न पाये | गुलाब आज तक वैसे खिल ही न पाये | ||
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19:09, 14 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
बहुत हमने चाहा कि दिल भूल जाये
मगर तुम भुलाने में भी याद आये
किसी मोड़ पर ज़िन्दगी आ गयी थी
बढ़ा कारवाँ और हम रुक न पाये
नहीं तुमको दिल से भुलाया है हमने
कई बार यों तो क़दम डगमगाये
कभी जो मिलें फिर तो पहचान लेना
नहीं तुमसे हम आज भी हैं पराये
तुम्हारी ही यादों की लौ जल रही थी
दिवाली के जब भी दिये जगमगाये
कभी अपने हाथों सँवारा था तुमने
गुलाब आज तक वैसे खिल ही न पाये