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बारिश में भीगते हुए / दिनकर कुमार

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बारिश में भीगते हुए
रोमानी होने की कोशिश करता हूँ
चाहता हूँ
यथार्थ के दंश को भूल जाऊँ

भूल जाऊँ
घर पहुँचने की आखिरी बस
कीचड़ से लथपथ पतलून
भूल जाऊँ
दयनीय वर्तमान

बारिश में भीगते हुए
किशोर लड़के की तरह
सीटी बजाने की कोशिश करता हूँ
गले में फँस जाती है सीटी
एक अजीब-सा स्वर निकलता है
जो मेरा नहीं होता

बारिश में भीगते हुए
मैं खुशी का स्पर्श करना चाहता हूँ
बेताल की तरह दुख
कंधे पर सवार रहता है
और पूरे वजूद को
दबाकर रखता है
 
मैं मौसम को कोसता हुआ
तेज़ क़दमों से
घर लौटता हूँ