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"बाल कविताएँ / भाग 13 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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डुबकी कभी लगाता है ।
 
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'''मेरे घोड़े  दौड़ लगा'''
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मेरे घोड़े  दौड़ लगा
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घर जल्दी मुझको पहुँचा
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घूमो मेरठ ,अम्बाला
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दिल्ली , मथुरा , पटियाला
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तुझे खींचनी है गाड़ी 
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पार करो टीले  झाड़ी ।

08:09, 5 मई 2020 का अवतरण

जब सूरज जग जाता है

आँखें मलकर धीरे-धीरे

सूरज जब जग जाता है ।

सिर पर रखकर पाँव अँधेरा

चुपके से भग जाता है ।

हौले से मुस्कान बिखेरी

पात सुनहरे हो जाते ।

डाली-डाली फुदक-फुदक कर

सारे पंछी हैं गाते ।

थाल भरे मोती ले करके

धरती स्वागत करती है ।

नटखट किरणें वन-उपवन में

खूब चौंकड़ी भरती हैं ।

कल-कल बहती हुई नदी में

सूरज खूब नहाता है

कभी तैरता है लहरों पर

डुबकी कभी लगाता है ।


मेरे घोड़े दौड़ लगा

मेरे घोड़े दौड़ लगा घर जल्दी मुझको पहुँचा घूमो मेरठ ,अम्बाला दिल्ली , मथुरा , पटियाला तुझे खींचनी है गाड़ी पार करो टीले झाड़ी ।