भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category:बाल-कविताएँ]]
'''चंदा मामा!बात बताओ'''
कैसे पहनोगे पाजामा।
आऊँगा मैं पास तुम्हारे,
फिर देखूँगा खूब नज़ारे।
कहाँ कातती बुढ़िया दादी,
पहने चमकीली-सी खादी।
तुम सूरज के छोटे भैया,
बहकाती थीं मुझको मैया।
मैंने उनको भेद बताया,
सूरज ने इनको चमकाया।
श्रम से जीवन सफल बनाओ.
घोर अँधेरी निशा घनेरी