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[[Category:बाल-कविताएँ]]
 
 
'''9-उदास चिड़िया'''
 
चिड़िया आई मेरे पास
 
लगती थी वह बड़ी उदास
 
कड़ी धूप में थी बेचैन
 
झर-झर बहते उसके नैन
 
 
मैंने पूछा क्या है हाल
 
बोली- सूख गए सब ताल
 
टूट गई है मेरी आस
 
कौन बुझाए मेरी प्यास
 
हुई नहीं रिमझिम बरसात
 
बिगड़े हैं मेरे हालात
 
बोली नदिया का ये नीर
 
देता है इस दिल को चीर
 
मैले -गन्दे जल को देख
 
लिए हैं मैंने घुटने टेक
 
रोती धरती, कटते पेड़
 
जंग रोज ही लड़ते पेड़
 
कहाँ किधर मैं बुन लूँ नीड़
 
मन की मेरे बढ़ती पीड़
 
होता जाता बड़ा विनाश
 
सभी गवाँया जो था पास
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'''10-पेड़ घना था'''
 
पेड़ घना था घर के पास
 
उस पर है चिड़िया का वास
 
होती है जब-जब भी भोर
होता है ची–ची का शोर
 
चिड़िया का छोटा शैतान
 
कूद गया था वह नादान
 
बिल्ली भागी उसकी ओर
 
देख मचाया मैंने शोर
 
भागी बिल्ली थी हैरान
 
बची तभी पगले की जान
 
करना है क्या पहले सोच
 
अब ये मोटे आँसू पोंछ
 
जब आया वो माँ के पास
 
तब लौटा उसका विश्वास
 
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'''11-गमले में'''
गमले में जब बोया था
बीज बहुत दिन सोया था
 
पानी रोज पिलाया था
 
पर वह उग न पाया था
 
मैं गमले को ताँक रहा
 
नन्हा अंकुर झाँक रहा
 
धूप सेकता रहता है
 
मुझसे कुछ ना कहता है
 
धीरे -धीरे बढ़ता है
 
जैसे सीढ़ी चढ़ता है
 
सुन्दर पत्ते आए हैं
 
खुशियों के पल लाए हैं
 
बात हवा से करता है
 
पर बरखा से डरता है
 
फूल खिले शाखाओं पर
 
उसकी सारी बाँहों पर
 
खुशबू लेकर आए हैं
 
कुछ दिन में मुरझाए हैं
 
फिर से कालिया आएँगी
 
खुशबू लेकर आएँगी
 
कलियाँ जब मुस्काएगी
 
बगिया को महकाएगी
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'''12-कछुए ने था पैसा जोड़ा'''
 
 
कछुए ने था पैसा जोड़ा
 
गुल्लक लेकर बंदर दौड़ा
 
कछुआ चलता हौले- हौले
 
बन्दर हँसता हँसता डोले
 
बन्दर के अब मन में आया
सब गुल्लक का माल उड़ाया
 
जी भर खाई चाट पकौड़ी
 
इक जूतों की ले ली जोड़ी
 
कछुए ने सबको बतलाया
 
समाचार टी-वी पर आया
 
बंदर की फिर हुई पिटाई
 
शोर मचाता आई -आई
 
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