भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाल गीत / ग्युण्टर ग्रास / उज्ज्वल भट्टाचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कौन हंसता है, हंसा यहाँ ?
हंसना तो हो चुका यहाँ ।
हंसने वाले पर होता शक,
हंसता नहीं है वो बेवजह, हाँ ।

कौन रोता है, रोया यहीं ?
रोया जाएगा यहाँ नहीं.
रोता जो यहाँ, कहता है :
कारण रोने का रहता है ।

बोला कौन, कौन चुप रहता ?
होगी रपट, जो कुछ न कहता ।
बोले जो, वह छिपा रहा है,
बोलने का कारण कहाँ है ।

कौन खेलता रेत के ऊपर ?
खड़ा होगा दीवार से सटकर ।
दाँव उसका ग़लत चल गया,
काम न आया, हाथ जल गया ।

कौन मर रहा, मर चुका ?
दूसरों के सामने वह झुका ।
बेदाग़ यहाँ जो मरता है,
बिला वजह वह मरता है ।

मूल जर्मन से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य