भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बिना तेल बिन बाती / रामप्रसाद कोसरिया

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:30, 17 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामप्रसाद कोसरिया |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिना तेल बिन बाती
जीवरा जारी दिन राति
जीनगी अंधियार लगे रे

बिन बरसा चुहय
आंखी के ओरवाति |
विधाता तोर महिमा, अपरमपार लागे रे

बुड़ मरे जनता,
नेता मांगे नहकाई
सरम चढ़े महंगाई, दुखिया सब संसार लागे रे