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बेखौफ डोलती हैं / चन्द्रगत भारती

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आँखो की हरकतो से
कोई बचा नहीं है
करती हैं वार ये तो
सबसे नजर बचाके।

जादू से ये भरी हैं
बेखौफ डोलती हैं !
पर आशिकों के दिल को
पहले टटोलती हैं !
करती हैं प्यार ये तो
सबसे नजर बचा के।

इस झील मे जो उतरा
वापस न लौट पाया !
कातिल हैं और ठग ये
जग ने यही बताया !
करती है रार ये तो
सबसे नजर बचाके।

अच्छा यही है इनके
संग उम्र भर निभाना !
ये रूठ जायें फिर तो
बेरंग ये जमाना !
देतीं हैं खार ये तो
सबसे नजर बचा के।

दिखने में भले भोली
बेमौत मारती हैं !
हो जायें मेहरबाँ तो
किस्मत संवारती हैं!
होती हैं चार ये तो
सबसे नजर बचा के।