भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बोल लेने के बाद / गिरिराज किराडू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (बोल लेने के बाद /गिरिराज किराडू का नाम बदलकर बोल लेने के बाद / गिरिराज किराडू कर दिया गया है)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
<Poem>
 
<Poem>
बोल लेने के बाद दम साधे इन्तज़ार कर रहा था कि जिन शब्दों से बनी थी यह
+
बोल लेने के बाद  
आवाज़ जब गिरेंगे वे शब्द पृथ्वी पर तो कुछ तो आवाज़ होगी
+
दम साधे इन्तज़ार कर रहा था
 +
कि जिन शब्दों से बनी थी यह आवाज़  
 +
जब गिरेंगे वे शब्द पृथ्वी पर  
 +
तो कुछ तो आवाज़ होगी
 +
 
 
मैं दम साधे ही खड़ा रहा
 
मैं दम साधे ही खड़ा रहा
 
कोई आवाज़ न हुई
 
कोई आवाज़ न हुई

11:06, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

बोल लेने के बाद
दम साधे इन्तज़ार कर रहा था
कि जिन शब्दों से बनी थी यह आवाज़
जब गिरेंगे वे शब्द पृथ्वी पर
तो कुछ तो आवाज़ होगी

मैं दम साधे ही खड़ा रहा
कोई आवाज़ न हुई
वहम हुआ कुछ देर के लिए हवा में ठहर गए हैं वे
या उन्हीं ने मिलकर बना ली है ख़ामोशी
या साइलेन्सर लगे रिवाल्वर से किसी ने शूट कर दिया है उन्हें