भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बौना / संतोष अलेक्स
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:30, 17 मार्च 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बालकनी में बैठकर
चाय की चुस्की लेते वक्त
अचानक नज़र पड़ी बोनसाई पर
यूँ तो यह आकार में है बौना
मगर है आकर्षक जरूर
दसवें मंजिल से
सामने के घर दिखते हैं बौने
हमारे फ्लैट का चौकीदार है बौना
बौने है
उसकी पत्नी ,बच्चे व इच्छाएँ
वामन को वरदान दे
महाबली भी हो गया बौना
बौना है
कमरे की चारदीवारी में कैद
झूठीशान में जीता आदमी
वह आदमी नहीं
बोनसाई हो चुका है........