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ब्रज की रज शीश चढ़ाया करूं / शिवदीन राम जोशी

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नित्त ध्यान धरूं चित्त से हित से, उर गोविन्द के गुण गया करूं |
वृन्दावन धाम में श्याम सखा, मन हीं मन में हरषाया करूं |
नन्द यशोमती गुवालन को, शिवदीन यूं भाग्य सराया करूं |
श्रीराधिका कृष्ण ही कृष्ण रटूं, ब्रज की रज शीश चढ़ाया करूं |