भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भगवान के डाकिए / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 30: पंक्ति 30:
 
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
 
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
  
पक्षियों की पंखों पर तैरता है।
+
पक्षियों के पंखों पर तैरता है।
  
 
और एक देश का भाप
 
और एक देश का भाप

09:07, 29 मई 2010 का अवतरण

पक्षी और बादल,

ये भगवान के डाकिए हैं

जो एक महादेश से

दूसरें महादेश को जाते हैं।

हम तो समझ नहीं पाते हैं

मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ

पेड़, पौधे, पानी और पहाड़

बाँचते हैं।


हम तो केवल यह आँकते हैं

कि एक देश की धरती

दूसरे देश को सुगंध भेजती है।

और वह सौरभ हवा में तैरते हुए

पक्षियों के पंखों पर तैरता है।

और एक देश का भाप

दूसरे देश में पानी

बनकर गिरता है।