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"भजन / सूरदास" के अवतरणों में अंतर

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देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी ॥ध्रु०॥
 
देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी ॥ध्रु०॥
 
 
आरुण चरण कुलिशकंज । चंदनसो करत रंग सूरदास जंघ जुगुली खंब कदली ।
 
आरुण चरण कुलिशकंज । चंदनसो करत रंग सूरदास जंघ जुगुली खंब कदली ।
 
 
कटी जोकी हरिकी ॥१॥
 
कटी जोकी हरिकी ॥१॥
 
 
उदर मध्य रोमावली । भवर उठत सरिता चली । वत्सांकित हृदय भान ।
 
उदर मध्य रोमावली । भवर उठत सरिता चली । वत्सांकित हृदय भान ।
 
 
चोकि हिरनकी ॥२॥
 
चोकि हिरनकी ॥२॥
 
 
दसनकुंद नासासुक । नयनमीन भवकार्मुक । केसरको तिलक भाल ।
 
दसनकुंद नासासुक । नयनमीन भवकार्मुक । केसरको तिलक भाल ।
 
 
शोभा मृगमदकी ॥३॥
 
शोभा मृगमदकी ॥३॥
 
 
सीस सोभे मयुरपिच्छ । लटकत है सुमन गुच्छ । सूरदास हृदय बसे ।
 
सीस सोभे मयुरपिच्छ । लटकत है सुमन गुच्छ । सूरदास हृदय बसे ।
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मूरत मोहनकी ॥४॥
  
मूरत मोहनकी ॥४॥
 
 
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२.
 
२.
 
 
श्रीराधा मोहनजीको रूप निहारो ॥ध्रु०॥
 
श्रीराधा मोहनजीको रूप निहारो ॥ध्रु०॥
 
 
छोटे भैया कृष्ण बडे बलदाऊं चंद्रवंश उजिआरो ॥श्री०॥१॥
 
छोटे भैया कृष्ण बडे बलदाऊं चंद्रवंश उजिआरो ॥श्री०॥१॥
 
 
मोर मुगुट मकराकृत कुंडल पितांबर पट बारो ॥श्री०॥२॥
 
मोर मुगुट मकराकृत कुंडल पितांबर पट बारो ॥श्री०॥२॥
 
 
हलधर गीरधर मदन मनोहर जशोमति नंद दुलारी ॥श्री०॥३॥
 
हलधर गीरधर मदन मनोहर जशोमति नंद दुलारी ॥श्री०॥३॥
 
 
शंख चक्र गदा पद्म विराजे असुरन भंजन हारो ॥श्री०॥४॥
 
शंख चक्र गदा पद्म विराजे असुरन भंजन हारो ॥श्री०॥४॥
 
 
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे वोढे कामर कारो ॥श्री०॥५॥
 
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे वोढे कामर कारो ॥श्री०॥५॥
 
 
निरमल जल जमुनाजीको किनो नागनाथ लीयो कारो ॥श्री०॥६॥
 
निरमल जल जमुनाजीको किनो नागनाथ लीयो कारो ॥श्री०॥६॥
 
 
इंद्र कोप चढे व्रज उपर नखपर गीरवर धारो ॥श्री०॥७॥
 
इंद्र कोप चढे व्रज उपर नखपर गीरवर धारो ॥श्री०॥७॥
 
 
कनक सिंहासन जदुवर बैठे कोटि भानु उजिआरो ॥श्री०॥८॥
 
कनक सिंहासन जदुवर बैठे कोटि भानु उजिआरो ॥श्री०॥८॥
 
 
माता जशोदा करत आरती बार बार बलिहारो ॥श्री०॥९॥
 
माता जशोदा करत आरती बार बार बलिहारो ॥श्री०॥९॥
 
 
सूरदास हरिको रूप निहारे जीवन प्रान हमारे ॥श्री०॥१०॥
 
सूरदास हरिको रूप निहारे जीवन प्रान हमारे ॥श्री०॥१०॥
 
 
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३.
 
३.
 
 
राधे कृष्ण कहो मेरे प्यारे भजो मेरे प्यारे जपो मेरे प्यारे ॥ध्रु०॥
 
राधे कृष्ण कहो मेरे प्यारे भजो मेरे प्यारे जपो मेरे प्यारे ॥ध्रु०॥
 
 
भजो गोविंद गोपाळ राधे कृष्ण कहो मेरे ॥ प्यारे०॥१॥
 
भजो गोविंद गोपाळ राधे कृष्ण कहो मेरे ॥ प्यारे०॥१॥
 
 
कृष्णजीकी लाल लाल अखियां हो लाल अखियां ।
 
कृष्णजीकी लाल लाल अखियां हो लाल अखियां ।
 
 
जैसी खिलीरे गुलाब ॥राधे०॥२॥
 
जैसी खिलीरे गुलाब ॥राधे०॥२॥
 
 
सिरपर मुगुट विराजे हो विराजे । बन्सी शोभे रसाल ॥राधे०॥३॥
 
सिरपर मुगुट विराजे हो विराजे । बन्सी शोभे रसाल ॥राधे०॥३॥
 
 
पितांबर पटकुलवाली हो पटकुलवाली कंठे मोतियनकी माल ॥राधे०॥४॥
 
पितांबर पटकुलवाली हो पटकुलवाली कंठे मोतियनकी माल ॥राधे०॥४॥
 
 
शुभ काने कुंडल झलके हो कुंडल झलके । तिलक शोभेरे ललाट ॥राधे०॥५॥
 
शुभ काने कुंडल झलके हो कुंडल झलके । तिलक शोभेरे ललाट ॥राधे०॥५॥
 
 
सूरदास चरण बलिहारी हो चरण बलिहारी । मै तो जनम जनम तिहारो दास ॥राधे०॥६॥
 
सूरदास चरण बलिहारी हो चरण बलिहारी । मै तो जनम जनम तिहारो दास ॥राधे०॥६॥
 
 
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४.
 
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नंद दुवारे एक जोगी आयो शिंगी नाद बजायो ।
 
नंद दुवारे एक जोगी आयो शिंगी नाद बजायो ।
 
 
सीश जटा शशि वदन सोहाये अरुण नयन छबि छायो ॥ नंद ॥ध्रु०॥
 
सीश जटा शशि वदन सोहाये अरुण नयन छबि छायो ॥ नंद ॥ध्रु०॥
 
 
रोवत खिजत कृष्ण सावरो रहत नही हुलरायो ।
 
रोवत खिजत कृष्ण सावरो रहत नही हुलरायो ।
 
 
लीयो उठाय गोद नंदरानी द्वारे जाय दिखायो ॥नंद०॥१॥
 
लीयो उठाय गोद नंदरानी द्वारे जाय दिखायो ॥नंद०॥१॥
 
 
अलख अलख करी लीयो गोदमें चरण चुमि उर लायो ।
 
अलख अलख करी लीयो गोदमें चरण चुमि उर लायो ।
 
 
श्रवण लाग कछु मंत्र सुनायो हसी बालक कीलकायो ॥ नंद ॥२॥
 
श्रवण लाग कछु मंत्र सुनायो हसी बालक कीलकायो ॥ नंद ॥२॥
 
 
चिरंजीवोसुत महरी तिहारो हो जोगी सुख पायो ।
 
चिरंजीवोसुत महरी तिहारो हो जोगी सुख पायो ।
 
 
सूरदास रमि चल्यो रावरो संकर नाम बतायो ॥ नंद॥३॥
 
सूरदास रमि चल्यो रावरो संकर नाम बतायो ॥ नंद॥३॥
 
 
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५.
 
५.
 
 
देख देख एक बाला जोगी द्वारे मेरे आया हो ॥ध्रु०॥
 
देख देख एक बाला जोगी द्वारे मेरे आया हो ॥ध्रु०॥
 
 
पीतपीतांबर गंगा बिराजे अंग बिभूती लगाया हो । तीन नेत्र अरु तिलक चंद्रमा जोगी जटा बनाया हो ॥१॥
 
पीतपीतांबर गंगा बिराजे अंग बिभूती लगाया हो । तीन नेत्र अरु तिलक चंद्रमा जोगी जटा बनाया हो ॥१॥
 
 
भिछा ले निकसी नंदरानी मोतीयन थाल भराया हो । ल्यो जोगी जाओ आसनपर मेरा लाल दराया हो ॥२॥
 
भिछा ले निकसी नंदरानी मोतीयन थाल भराया हो । ल्यो जोगी जाओ आसनपर मेरा लाल दराया हो ॥२॥
 
 
ना चईये तेरी माया हो अपनो गोपाल बताव नंदरानी । हम दरशनकु आया हो ॥३॥
 
ना चईये तेरी माया हो अपनो गोपाल बताव नंदरानी । हम दरशनकु आया हो ॥३॥
 
 
बालकले निकसी नंदरानी जोगीयन दरसन पाया हो । दरसन पाया प्रेम बस नाचे मन मंगल दरसाया हो ॥४॥
 
बालकले निकसी नंदरानी जोगीयन दरसन पाया हो । दरसन पाया प्रेम बस नाचे मन मंगल दरसाया हो ॥४॥
 
 
देत आसीस चले आसनपर चिरंजीव तेरा जाया हो । सूरदास प्रभु सखा बिराजे आनंद मंगल गाया हो ॥५॥
 
देत आसीस चले आसनपर चिरंजीव तेरा जाया हो । सूरदास प्रभु सखा बिराजे आनंद मंगल गाया हो ॥५॥
  
 
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६.
 
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बासरी बजाय आज रंगसो मुरारी । शिव समाधि भूलि गयी मुनि मनकी तारी ॥ बा०॥ध्रु०॥
 
बासरी बजाय आज रंगसो मुरारी । शिव समाधि भूलि गयी मुनि मनकी तारी ॥ बा०॥ध्रु०॥
 
 
बेद भनत ब्रह्मा भुले भूले ब्रह्मचरी । सुनतही आनंद भयो लगी है करारी ॥ बास०॥१॥
 
बेद भनत ब्रह्मा भुले भूले ब्रह्मचरी । सुनतही आनंद भयो लगी है करारी ॥ बास०॥१॥
 
 
रंभा सब ताल चूकी भूमी नृत्य कारी । यमुना जल उलटी बहे सुधि ना सम्हारी ॥ बा०॥२॥
 
रंभा सब ताल चूकी भूमी नृत्य कारी । यमुना जल उलटी बहे सुधि ना सम्हारी ॥ बा०॥२॥
 
 
श्रीवृंदावन बन्सी बजी तीन लोक प्यारी । ग्वाल बाल मगन भयी व्रजकी सब नारी ॥ बा०॥३॥
 
श्रीवृंदावन बन्सी बजी तीन लोक प्यारी । ग्वाल बाल मगन भयी व्रजकी सब नारी ॥ बा०॥३॥
 
 
सुंदर श्याम मोहन मुरती नटबर वपुधारी । सूरकिशोर मदन मोहन चरण कमल बलिहारी ॥ बास०॥४॥
 
सुंदर श्याम मोहन मुरती नटबर वपुधारी । सूरकिशोर मदन मोहन चरण कमल बलिहारी ॥ बास०॥४॥
  
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७.
 
७.
 
 
जागो पीतम प्यारा लाल तुम जागो बन्सिवाला । तुमसे मेरो मन लाग रह्यो तुम जागो मुरलीवाला ॥ जा०॥ध्रु०॥
 
जागो पीतम प्यारा लाल तुम जागो बन्सिवाला । तुमसे मेरो मन लाग रह्यो तुम जागो मुरलीवाला ॥ जा०॥ध्रु०॥
 
 
बनकी चिडीयां चौं चौं बोले पंछी करे पुकारा । रजनि बित और भोर भयो है गरगर खुल्या कमरा ॥१॥
 
बनकी चिडीयां चौं चौं बोले पंछी करे पुकारा । रजनि बित और भोर भयो है गरगर खुल्या कमरा ॥१॥
 
 
गरगर गोपी दहि बिलोवे कंकणका ठिमकारा । दहिं दूधका भर्‍या कटोरा सावर गुडाया डारा ॥ जा०॥२॥
 
गरगर गोपी दहि बिलोवे कंकणका ठिमकारा । दहिं दूधका भर्‍या कटोरा सावर गुडाया डारा ॥ जा०॥२॥
 
 
धेनु उठी बनमें चली संग नहीं गोवारा । ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे स्तुति करत अपारा ॥ जा०॥३॥
 
धेनु उठी बनमें चली संग नहीं गोवारा । ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे स्तुति करत अपारा ॥ जा०॥३॥
 
 
शिव सनकादिक और ब्रह्मादिक गुन गावे प्रभू तोरा । सूरदास बलिहार चरनपर चरन कमल चित मोरा ॥ जा०॥४॥
 
शिव सनकादिक और ब्रह्मादिक गुन गावे प्रभू तोरा । सूरदास बलिहार चरनपर चरन कमल चित मोरा ॥ जा०॥४॥
 
 
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८.
 
८.
  
 
ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी ऐसी भक्ति । सरवस त्याग मगन होय नाचे जनम करम गुन गावे ॥ उ०॥ध्रु०॥
 
ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी ऐसी भक्ति । सरवस त्याग मगन होय नाचे जनम करम गुन गावे ॥ उ०॥ध्रु०॥
 
 
कथनी कथे निरंतर मेरी चरन कमल चित लावे ॥ मुख मुरली नयन जलधारा करसे ताल बजावे ॥उ०॥१॥
 
कथनी कथे निरंतर मेरी चरन कमल चित लावे ॥ मुख मुरली नयन जलधारा करसे ताल बजावे ॥उ०॥१॥
 
 
जहां जहां चरन देत जन मेरो सकल तिरथ चली आवे । उनके पदरज अंग लगावे कोटी जनम सुख पावे ॥उ०॥२॥
 
जहां जहां चरन देत जन मेरो सकल तिरथ चली आवे । उनके पदरज अंग लगावे कोटी जनम सुख पावे ॥उ०॥२॥
 
 
उन मुरति मेरे हृदय बसत है मोरी सूरत लगावे । बलि बलि जाऊं श्रीमुख बानी सूरदास बलि जावे ॥उ०॥३॥
 
उन मुरति मेरे हृदय बसत है मोरी सूरत लगावे । बलि बलि जाऊं श्रीमुख बानी सूरदास बलि जावे ॥उ०॥३॥
  
 
९.
 
९.
 
 
ग्वाली ते मेरी गेंद चोराई ग्वालिनि तें मेरी गेंद चोराई । खेलत गेंद परी तोरे अंगना अंगिया बीच छिपाई ॥ध्रु०॥
 
ग्वाली ते मेरी गेंद चोराई ग्वालिनि तें मेरी गेंद चोराई । खेलत गेंद परी तोरे अंगना अंगिया बीच छिपाई ॥ध्रु०॥
 
 
काहेकी गेंद काहेकी धागा कौन हात बनाई फुलनकी गेंद । रेशमका धागा जशोमति हाथ बनाई ॥११॥
 
काहेकी गेंद काहेकी धागा कौन हात बनाई फुलनकी गेंद । रेशमका धागा जशोमति हाथ बनाई ॥११॥
 
 
झुटे लाल झुट मति बोलो अंगिया तकत पराई । जो मेरी अंगियामें गेंद जो निकसे भूल जावो ठकुराई ॥ ग्या०॥२॥
 
झुटे लाल झुट मति बोलो अंगिया तकत पराई । जो मेरी अंगियामें गेंद जो निकसे भूल जावो ठकुराई ॥ ग्या०॥२॥
 
 
हस हस बात करत राधे संग उतसें जशोदा आई । सूरदास प्रभु चतुर कनैया एक गये दो पाई ॥ ग्वा०॥३॥
 
हस हस बात करत राधे संग उतसें जशोदा आई । सूरदास प्रभु चतुर कनैया एक गये दो पाई ॥ ग्वा०॥३॥
 
 
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१०.
 
१०.
 
 
नेक चलो नंदरानी उहां लगी नेक चलो नंदारानी ॥ध्रु०॥
 
नेक चलो नंदरानी उहां लगी नेक चलो नंदारानी ॥ध्रु०॥
 
 
देखो आपने सुतकी करनी दूध मिलावत पानी ॥उ०॥१॥
 
देखो आपने सुतकी करनी दूध मिलावत पानी ॥उ०॥१॥
 
 
हमरे शिरकी नयी चुनरिया ले गोरसमें सानी ॥उ०॥२॥
 
हमरे शिरकी नयी चुनरिया ले गोरसमें सानी ॥उ०॥२॥
 
 
हमरे उनके करन बाद है हम देखावत जबानी ॥उ०॥३॥
 
हमरे उनके करन बाद है हम देखावत जबानी ॥उ०॥३॥
 
 
तुमरे कुलकी ऐशी बतीया सो हमारे सब जानी ॥उ०॥४॥
 
तुमरे कुलकी ऐशी बतीया सो हमारे सब जानी ॥उ०॥४॥
 
 
पिता तुमारे कंस घर बांधे आप कहावत दानी ॥उ०॥५॥
 
पिता तुमारे कंस घर बांधे आप कहावत दानी ॥उ०॥५॥
 
 
यह व्रजको बसवो हम त्यागो आप रहो राजधानी ॥उ०॥६॥
 
यह व्रजको बसवो हम त्यागो आप रहो राजधानी ॥उ०॥६॥
 
 
सूरदास उखर उखरकी बरखा थोर जल उतरानी ॥उ०॥७॥
 
सूरदास उखर उखरकी बरखा थोर जल उतरानी ॥उ०॥७॥
 
 
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११.
 
११.
 
 
देखो माई हलधर गिरधर जोरी ॥ध्रु०॥
 
देखो माई हलधर गिरधर जोरी ॥ध्रु०॥
 
 
हलधर हल मुसल कलधारे गिरधर छत्र धरोरी ॥देखो०॥१॥
 
हलधर हल मुसल कलधारे गिरधर छत्र धरोरी ॥देखो०॥१॥
 
 
हलधर ओढे पित पितांबर गिरधर पीत पिछोरी ॥देखो०॥२॥
 
हलधर ओढे पित पितांबर गिरधर पीत पिछोरी ॥देखो०॥२॥
 
 
हलधर केहे मेरी कारी कामरी गीरधरने ली चोरी ॥देखो०॥३॥
 
हलधर केहे मेरी कारी कामरी गीरधरने ली चोरी ॥देखो०॥३॥
 
 
सूरदास प्रभुकी छबि निरखे भाग बडे जीन कोरी ॥देखो०॥४॥
 
सूरदास प्रभुकी छबि निरखे भाग बडे जीन कोरी ॥देखो०॥४॥
 
 
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१२.
 
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नेननमें लागि रहै गोपाळ नेननमें ॥ध्रु०॥
 
नेननमें लागि रहै गोपाळ नेननमें ॥ध्रु०॥
 
 
मैं जमुना जल भरन जात रही भर लाई जंजाल ॥ने०॥१॥
 
मैं जमुना जल भरन जात रही भर लाई जंजाल ॥ने०॥१॥
 
 
रुनक झुनक पग नेपुर बाजे चाल चलत गजराज ॥ने०॥२॥
 
रुनक झुनक पग नेपुर बाजे चाल चलत गजराज ॥ने०॥२॥
 
 
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे संग लखो लिये ग्वाल ॥ने०॥३॥
 
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे संग लखो लिये ग्वाल ॥ने०॥३॥
 
 
बिन देखे मोही कल न परत है निसदिन रहत बिहाल ॥ने०॥४॥
 
बिन देखे मोही कल न परत है निसदिन रहत बिहाल ॥ने०॥४॥
 
 
लोक लाज कुलकी मरजादा निपट भ्रमका जाल ॥ने०॥५॥
 
लोक लाज कुलकी मरजादा निपट भ्रमका जाल ॥ने०॥५॥
 
 
वृंदाबनमें रास रचो है सहस्त्र गोपि एक लाल ॥ने०॥६॥
 
वृंदाबनमें रास रचो है सहस्त्र गोपि एक लाल ॥ने०॥६॥
 
 
मोर मुगुट पितांबर सोभे गले वैजयंती माल ॥ने०॥७॥
 
मोर मुगुट पितांबर सोभे गले वैजयंती माल ॥ने०॥७॥
 
 
शंख चक्र गदा पद्म विराजे वांके नयन बिसाल ॥ने०॥८॥
 
शंख चक्र गदा पद्म विराजे वांके नयन बिसाल ॥ने०॥८॥
 
 
सुरदास हरिको रूप निहारे चिरंजीव रहो नंद लाल ॥ने०॥९॥
 
सुरदास हरिको रूप निहारे चिरंजीव रहो नंद लाल ॥ने०॥९॥
  
 
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१३.
 
१३.
 
 
दरसन बिना तरसत मोरी अखियां ॥ध्रु०॥
 
दरसन बिना तरसत मोरी अखियां ॥ध्रु०॥
 
 
तुमी पिया मोही छांड सीधारे फरकन लागी छतिया ॥द०॥१॥
 
तुमी पिया मोही छांड सीधारे फरकन लागी छतिया ॥द०॥१॥
 
 
बस्ति छाड उज्जड किनी व्याकुल भ‍ई सब सखियां ॥द०॥२॥
 
बस्ति छाड उज्जड किनी व्याकुल भ‍ई सब सखियां ॥द०॥२॥
 
 
सूरदास कहे प्रभु तुमारे मिलनकूं ज्युजलंती मुख बतिया ॥द०॥३॥
 
सूरदास कहे प्रभु तुमारे मिलनकूं ज्युजलंती मुख बतिया ॥द०॥३॥
 
 
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१४.
 
१४.
 
 
सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी सांवरे मोकुं रंगमें बोरी बोरी ॥ध्रु०॥
 
सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी सांवरे मोकुं रंगमें बोरी बोरी ॥ध्रु०॥
 
 
बहीयां पकर कर शीरकी गागरिया । छिन गागर ढोरी ।
 
बहीयां पकर कर शीरकी गागरिया । छिन गागर ढोरी ।
 
 
रंगमें रस बस मोकूं किनी । डारी गुलालनकी झोरी । गावत लागे मुखसे होरी ॥सा०॥१॥
 
रंगमें रस बस मोकूं किनी । डारी गुलालनकी झोरी । गावत लागे मुखसे होरी ॥सा०॥१॥
 
 
आयो अचानक मिले मंदिरमें । देखत नवल किशोरी ।
 
आयो अचानक मिले मंदिरमें । देखत नवल किशोरी ।
 
 
धरी भूजा मोकुं पकरी जीवनने बलजोरे । माला मोतियनकी तोरी ॥सा०॥२॥
 
धरी भूजा मोकुं पकरी जीवनने बलजोरे । माला मोतियनकी तोरी ॥सा०॥२॥
 
 
तब मोरे जोर कछु न चालो । बात कठीन सुनाई ।
 
तब मोरे जोर कछु न चालो । बात कठीन सुनाई ।
 
 
तबसे उनकु नेन दिखायो मत जानो मोकूं मोरी । जानु तोरे चितकी चोरी ॥सा०॥३॥
 
तबसे उनकु नेन दिखायो मत जानो मोकूं मोरी । जानु तोरे चितकी चोरी ॥सा०॥३॥
 
 
मरजादा हमेरी कछु न राखी कंचुबोकी कसतोरी ।
 
मरजादा हमेरी कछु न राखी कंचुबोकी कसतोरी ।
 
 
सूरदास प्रभु तुमारे मिलनकू मोकूं रंगमें बोरी । गईती मैं नंदजीकी पोरी ॥सा०॥४॥
 
सूरदास प्रभु तुमारे मिलनकू मोकूं रंगमें बोरी । गईती मैं नंदजीकी पोरी ॥सा०॥४॥
  
 
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१५.
 
१५.
 
 
हमसे छल कीनो काना नेनवा लगायके ॥ध्रु०॥
 
हमसे छल कीनो काना नेनवा लगायके ॥ध्रु०॥
 
 
जमुनाजलमें जीपें गेंद डारी कालि नागनाथ लाये । इंद्रको गुमान हर्यो गोवरधन धारके ॥ह०॥१॥
 
जमुनाजलमें जीपें गेंद डारी कालि नागनाथ लाये । इंद्रको गुमान हर्यो गोवरधन धारके ॥ह०॥१॥
 
 
मोर मुगुट बांधे काली कामरी खांदे । जमुनाजीमें ठाडो काना बासरी बजायके ॥ह०॥२॥
 
मोर मुगुट बांधे काली कामरी खांदे । जमुनाजीमें ठाडो काना बासरी बजायके ॥ह०॥२॥
 
 
देवकीको जायो काना आधिरेन गोकुल आयो । जशोदा रमायो काना माखन खिलायके ॥ह०॥३॥
 
देवकीको जायो काना आधिरेन गोकुल आयो । जशोदा रमायो काना माखन खिलायके ॥ह०॥३॥
 
 
गोपि सब त्याग दिनी कुबजा संग प्रीत कीनि । सूर कहे प्रभु दरुशन दीजे मोरी व्रजमें आयके ॥ह०॥४॥
 
गोपि सब त्याग दिनी कुबजा संग प्रीत कीनि । सूर कहे प्रभु दरुशन दीजे मोरी व्रजमें आयके ॥ह०॥४॥
  
 
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१६.
 
१६.
 
 
जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो ॥ज०॥ध्रु०॥
 
जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो ॥ज०॥ध्रु०॥
 
 
बन्सीके नाद थंभ्यो जमुनाको नीर खग मृग धेनु मोहि कोकिला अनें किर ॥बं०॥१॥
 
बन्सीके नाद थंभ्यो जमुनाको नीर खग मृग धेनु मोहि कोकिला अनें किर ॥बं०॥१॥
 
 
सुरनर मुनि मोह्या रागसो गंभीर । धुन सुन मोहि गोपि भूली आंग चीर ॥बं०॥२॥
 
सुरनर मुनि मोह्या रागसो गंभीर । धुन सुन मोहि गोपि भूली आंग चीर ॥बं०॥२॥
 
 
मारुत तो अचल भयो धरी रह्यो धीर । गौवनका बच्यां मोह्यां पीवत न खीर ॥बं०॥३॥
 
मारुत तो अचल भयो धरी रह्यो धीर । गौवनका बच्यां मोह्यां पीवत न खीर ॥बं०॥३॥
 
 
सूर कहे श्याम जादु कीन्ही हलधरके बीर । सबहीको मन मोह्या प्रभु सुख सरीर ॥ब०॥४॥
 
सूर कहे श्याम जादु कीन्ही हलधरके बीर । सबहीको मन मोह्या प्रभु सुख सरीर ॥ब०॥४॥
 
 
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१७.
 
१७.
 
 
मधुरीसी बेन बजायके । मेरो मन मोह्यो सांवरा ॥ध्रु०॥
 
मधुरीसी बेन बजायके । मेरो मन मोह्यो सांवरा ॥ध्रु०॥
 
 
मेरे आंगनमें बांसको बेडलो सिंचो मन चित्त लायके । अब तो बेरण भई बासरी मोहन मुखपर आयके ॥सां०॥१॥
 
मेरे आंगनमें बांसको बेडलो सिंचो मन चित्त लायके । अब तो बेरण भई बासरी मोहन मुखपर आयके ॥सां०॥१॥
 
 
मैं जल जमुना भरन जातरी मारग रोक्यो आयके । बनसीमें कछु आचरण गावे राधेको नाम सुनायके ॥सा०॥२॥
 
मैं जल जमुना भरन जातरी मारग रोक्यो आयके । बनसीमें कछु आचरण गावे राधेको नाम सुनायके ॥सा०॥२॥
 
 
घुंघटका पट ओडे आवें सब सखियां सरमायके । कहां कहेली सहेली सासु नणंदी घर जायके ॥सां०॥३॥
 
घुंघटका पट ओडे आवें सब सखियां सरमायके । कहां कहेली सहेली सासु नणंदी घर जायके ॥सां०॥३॥
 
 
सूरदास गोकुलकी महिमा कबलग कहूं बनायके । एक बेर मोहे दरशन दीजो कुंज गलिनमें आयके ॥सां०॥४॥
 
सूरदास गोकुलकी महिमा कबलग कहूं बनायके । एक बेर मोहे दरशन दीजो कुंज गलिनमें आयके ॥सां०॥४॥
 
 
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१८.
 
१८.
 
 
काहू जोगीकी नजर लागी है मेरो कुंवर । कन्हिया रोवे ॥ध्रु०॥
 
काहू जोगीकी नजर लागी है मेरो कुंवर । कन्हिया रोवे ॥ध्रु०॥
 
 
घर घर हात दिखावे जशोदा दूध पीवे नहि सोवे । चारो डांडी सरल सुंदर ।
 
घर घर हात दिखावे जशोदा दूध पीवे नहि सोवे । चारो डांडी सरल सुंदर ।
 
 
पलनेमें जु झुलावे ॥मे०॥१॥
 
पलनेमें जु झुलावे ॥मे०॥१॥
 
 
मेरी गली तुम छिन मति आवो । अलख अलख मुख बोले ।
 
मेरी गली तुम छिन मति आवो । अलख अलख मुख बोले ।
 
 
राई लवण उतारे यशोदा सुरप्रभूको सुवावे ॥मे०॥२॥
 
राई लवण उतारे यशोदा सुरप्रभूको सुवावे ॥मे०॥२॥
 
 
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१९.
 
१९.
 
 
शाम नृपती मुरली भई रानी ॥ध्रु०॥
 
शाम नृपती मुरली भई रानी ॥ध्रु०॥
 
 
बन ते ल्याय सुहागिनी किनी । और नारी उनको न सोहानी ॥१॥
 
बन ते ल्याय सुहागिनी किनी । और नारी उनको न सोहानी ॥१॥
 
 
कबहु अधर आलिंगन कबहु । बचन सुनन तनु दसा भुलानी ॥२॥
 
कबहु अधर आलिंगन कबहु । बचन सुनन तनु दसा भुलानी ॥२॥
 
 
सुरदास प्रभू तुमारे सरनकु । प्रेम नेमसे मिलजानी ॥३॥
 
सुरदास प्रभू तुमारे सरनकु । प्रेम नेमसे मिलजानी ॥३॥
 
 
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२०.
 
२०.
 
 
मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती ॥ध्रु०॥
 
मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती ॥ध्रु०॥
 
 
सुनीरी सखी श्रवण दे अब तुजेही बिधि हरिमुख राजती ॥१॥
 
सुनीरी सखी श्रवण दे अब तुजेही बिधि हरिमुख राजती ॥१॥
 
 
करपल्लव जब धरत सबैलै सप्त सूर निकल साजती ॥२॥
 
करपल्लव जब धरत सबैलै सप्त सूर निकल साजती ॥२॥
 
 
सूरदास यह सौती साल भई सबहीनके शीर गाजती ॥३॥
 
सूरदास यह सौती साल भई सबहीनके शीर गाजती ॥३॥
 
 
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२१.
 
२१.
 
 
तुमको कमलनयन कबी गलत ॥ध्रु०॥
 
तुमको कमलनयन कबी गलत ॥ध्रु०॥
 
 
बदन कमल उपमा यह साची ता गुनको प्रगटावत ॥१॥
 
बदन कमल उपमा यह साची ता गुनको प्रगटावत ॥१॥
 
 
सुंदर कर कमलनकी शोभा चरन कमल कहवावत ॥२॥
 
सुंदर कर कमलनकी शोभा चरन कमल कहवावत ॥२॥
 
 
और अंग कही कहा बखाने इतनेहीको गुन गवावत ॥३॥
 
और अंग कही कहा बखाने इतनेहीको गुन गवावत ॥३॥
 
 
शाम मन अडत यह बानी बढ श्रवण सुनत सुख पवावत ।
 
शाम मन अडत यह बानी बढ श्रवण सुनत सुख पवावत ।
 
 
सूरदास प्रभु ग्वाल संघाती जानी जाती जन वावत ॥४॥
 
सूरदास प्रभु ग्वाल संघाती जानी जाती जन वावत ॥४॥
 
 
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२२.
 
२२.
 
 
रसिक सीर भो हेरी लगावत गावत राधा राधा नाम ॥ध्रु०॥
 
रसिक सीर भो हेरी लगावत गावत राधा राधा नाम ॥ध्रु०॥
 
 
कुंजभवन बैठे मनमोहन अली गोहन सोहन सुख तेरोई गुण ग्राम ॥१॥
 
कुंजभवन बैठे मनमोहन अली गोहन सोहन सुख तेरोई गुण ग्राम ॥१॥
 
 
श्रवण सुनत प्यारी पुलकित भई प्रफुल्लित तनु मनु रोम राम सुखराशी बाम ॥२॥
 
श्रवण सुनत प्यारी पुलकित भई प्रफुल्लित तनु मनु रोम राम सुखराशी बाम ॥२॥
 
 
सूरदास प्रभु गिरीवर धरको चली मिलन गजराज गामिनी झनक रुनक बन धाम ॥३॥
 
सूरदास प्रभु गिरीवर धरको चली मिलन गजराज गामिनी झनक रुनक बन धाम ॥३॥
 
 
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२३.
 
२३.
 
 
फुलनको महल फुलनकी सज्या फुले कुंजबिहारी । फुली राधा प्यारी ॥ध्रु०॥
 
फुलनको महल फुलनकी सज्या फुले कुंजबिहारी । फुली राधा प्यारी ॥ध्रु०॥
 
 
फुलेवे दंपती नवल मनन फुले फले करे केली न्यारी ॥१॥
 
फुलेवे दंपती नवल मनन फुले फले करे केली न्यारी ॥१॥
 
 
फुलीलता वेली विविधा सुमन गन फुले आवन दोऊं है सुखकारी ॥२॥
 
फुलीलता वेली विविधा सुमन गन फुले आवन दोऊं है सुखकारी ॥२॥
 
 
सूरदास प्रभु प्यारपर बारत फुले फलचंपक बेली नेवारी ॥३॥
 
सूरदास प्रभु प्यारपर बारत फुले फलचंपक बेली नेवारी ॥३॥
 
 
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२४.
 
२४.
 
 
कायकूं बहार परी । मुरलीया ॥ कायकू ब०॥ध्रु०॥
 
कायकूं बहार परी । मुरलीया ॥ कायकू ब०॥ध्रु०॥
 
 
जेलो तेरी ज्यानी पग पछानी । आई बनकी लकरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥१॥
 
जेलो तेरी ज्यानी पग पछानी । आई बनकी लकरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥१॥
 
 
घडी एक करपर घडी एक मुखपर । एक अधर धरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥२॥
 
घडी एक करपर घडी एक मुखपर । एक अधर धरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥२॥
 
 
कनक बासकी मंगावूं लकरियां । छिलके गोल करी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥३॥
 
कनक बासकी मंगावूं लकरियां । छिलके गोल करी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥३॥
 
 
सूरदासकी बाकी मुरलिये । संतन से सुधरी । मुरलिया काय०॥४॥
 
सूरदासकी बाकी मुरलिये । संतन से सुधरी । मुरलिया काय०॥४॥
 
 
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२५.
 
२५.
 
 
सुदामजीको देखत श्याम हसे सुदामजीको देखत० ॥ध्रु०॥
 
सुदामजीको देखत श्याम हसे सुदामजीको देखत० ॥ध्रु०॥
 
 
हम तुम मित्र है बालपनके । अब तुम दूर बसे ॥ सुदामजी ॥१॥
 
हम तुम मित्र है बालपनके । अब तुम दूर बसे ॥ सुदामजी ॥१॥
 
 
फाटीरे धोती टुटी पगडीयां । चालत पाव घसे ॥ सुदा०॥२॥
 
फाटीरे धोती टुटी पगडीयां । चालत पाव घसे ॥ सुदा०॥२॥
 
 
भाभिजीने कुछ भेट पठाई । पोवे तीन पैसे ॥ सुदा०॥३॥
 
भाभिजीने कुछ भेट पठाई । पोवे तीन पैसे ॥ सुदा०॥३॥
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सूरदास प्रभु तुम्हारे मिलनसे । कंचन मेल बसे ॥ सुदामजी०॥४॥
  
सूरदास प्रभु तुम्हारे मिलनसे । कंचन मेल बसे ॥ सुदामजी०॥४॥
 
 
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२६.
 
२६.
 
 
महाराज भवानी ब्रह्म भुवनकी रानी ॥ध्रु०॥
 
महाराज भवानी ब्रह्म भुवनकी रानी ॥ध्रु०॥
 
 
आगे शंकर तांडव करत है । भाव करत शुलपानी ॥ महा०॥१॥
 
आगे शंकर तांडव करत है । भाव करत शुलपानी ॥ महा०॥१॥
 
 
सुरनर गंधर्वकी भिड भई है । आगे खडा दंडपानी ॥ महा०॥२॥
 
सुरनर गंधर्वकी भिड भई है । आगे खडा दंडपानी ॥ महा०॥२॥
 
 
सुरदास प्रभु पल पल निरखत । भक्तवत्सल जगदानी ॥ महा०॥३॥
 
सुरदास प्रभु पल पल निरखत । भक्तवत्सल जगदानी ॥ महा०॥३॥
 
 
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२७.
 
२७.
 
 
हरि जनकू हरिनाम बडो धन हरि जनकू हरिनाम ॥ ध्रु०॥
 
हरि जनकू हरिनाम बडो धन हरि जनकू हरिनाम ॥ ध्रु०॥
 
 
बिन रखवाले चोर नहि चोरत सुवत है सुख धाम ॥ ब०॥१॥
 
बिन रखवाले चोर नहि चोरत सुवत है सुख धाम ॥ ब०॥१॥
 
 
दिन दीन होते सवाई दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥२॥
 
दिन दीन होते सवाई दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥२॥
 
 
सुरदास दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥३॥
 
सुरदास दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥३॥
 
 
प्रभु सेवा जाकी पारससुं कहां काम ॥ ब०॥४॥
 
प्रभु सेवा जाकी पारससुं कहां काम ॥ ब०॥४॥
 
 
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२८.
 
२८.
 
 
ऐसे संतनकी सेवा । कर मन ऐसे संतनकी सेवा ॥ध्रु०॥
 
ऐसे संतनकी सेवा । कर मन ऐसे संतनकी सेवा ॥ध्रु०॥
 
 
शील संतोख सदा उर जिनके । नाम रामको लेवा ॥ क०॥१॥
 
शील संतोख सदा उर जिनके । नाम रामको लेवा ॥ क०॥१॥
 
 
आन भरोसो हृदय नहि जिनके । भजन निरंजन देवा ॥ क०॥२॥
 
आन भरोसो हृदय नहि जिनके । भजन निरंजन देवा ॥ क०॥२॥
 
 
जीन मुक्त फिरे जगमाही । ज्यु नारद मुनी देवा ॥ क०॥३॥
 
जीन मुक्त फिरे जगमाही । ज्यु नारद मुनी देवा ॥ क०॥३॥
 
 
जिनके चरन कमलकूं इच्छत । प्रयाग जमुना रेवा ॥ क०॥४॥
 
जिनके चरन कमलकूं इच्छत । प्रयाग जमुना रेवा ॥ क०॥४॥
 
 
सूरदास कर उनकी संग । मिले निरंजन देवा ॥ क०॥५॥
 
सूरदास कर उनकी संग । मिले निरंजन देवा ॥ क०॥५॥
 
 
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२९.
 
२९.
 
 
जयजय नारायण ब्रह्मपरायण श्रीपती कमलाकांत ॥ध्रु०॥
 
जयजय नारायण ब्रह्मपरायण श्रीपती कमलाकांत ॥ध्रु०॥
 
 
नाम अनंत कहां लगी बरनुं शेष न पावे अंत ।
 
नाम अनंत कहां लगी बरनुं शेष न पावे अंत ।
 
 
शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक सूर मुनिध्यान धरत ॥ जयजय० ॥१॥
 
शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक सूर मुनिध्यान धरत ॥ जयजय० ॥१॥
 
 
मच्छ कच्छ वराह नारसिंह प्रभु वामन रूप धरत ।
 
मच्छ कच्छ वराह नारसिंह प्रभु वामन रूप धरत ।
 
 
परशुराम श्रीरामचंद्र भये लीला कोटी करत ॥ जयजय० ॥२॥
 
परशुराम श्रीरामचंद्र भये लीला कोटी करत ॥ जयजय० ॥२॥
 
 
जन्म लियो वसुदेव देवकी घर जशूमती गोद खेलत ।
 
जन्म लियो वसुदेव देवकी घर जशूमती गोद खेलत ।
 
 
पेस पाताल काली नागनाथ्यो फणपे नृत्य करत ॥ जयजय० ॥३॥
 
पेस पाताल काली नागनाथ्यो फणपे नृत्य करत ॥ जयजय० ॥३॥
 
 
बलदेव होयके असुर संहारे कंसके केश ग्रहत ।
 
बलदेव होयके असुर संहारे कंसके केश ग्रहत ।
 
 
जगन्नाथ जगमग चिंतामणी बैठ रहे निश्चत ॥ जयजय० ॥४॥
 
जगन्नाथ जगमग चिंतामणी बैठ रहे निश्चत ॥ जयजय० ॥४॥
 
 
कलियुगमें अवतार कलंकी चहुं दिशी चक्र फिरत ।
 
कलियुगमें अवतार कलंकी चहुं दिशी चक्र फिरत ।
 
 
द्वादशस्कंध भागवत गीता गावे सूर अनंत ॥ जयजय० ॥५॥
 
द्वादशस्कंध भागवत गीता गावे सूर अनंत ॥ जयजय० ॥५॥
  
 
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३०.
 
३०.
  
 
जनम सब बातनमें बित गयोरे ॥ध्रु०॥
 
जनम सब बातनमें बित गयोरे ॥ध्रु०॥
 
 
बार बरस गये लडकाई । बसे जोवन भयो ।
 
बार बरस गये लडकाई । बसे जोवन भयो ।
 
 
त्रिश बरस मायाके कारन देश बिदेश गयो ॥१॥
 
त्रिश बरस मायाके कारन देश बिदेश गयो ॥१॥
 
 
चालीस अंदर राजकुं पायो बढे लोभ नित नयो ।
 
चालीस अंदर राजकुं पायो बढे लोभ नित नयो ।
 
 
सुख संपत मायाके कारण ऐसे चलत गयो ॥ जन० ॥२॥
 
सुख संपत मायाके कारण ऐसे चलत गयो ॥ जन० ॥२॥
 
 
सुकी त्वचा कमर भई ढिली, ए सब ठाठ भयो ।
 
सुकी त्वचा कमर भई ढिली, ए सब ठाठ भयो ।
 
 
बेटा बहुवर कह्यो न माने बुड ना शठजीहू भयो ॥ जन० ॥३॥
 
बेटा बहुवर कह्यो न माने बुड ना शठजीहू भयो ॥ जन० ॥३॥
 
 
ना हरी भजना ना गुरु सेवा ना कछु दान दियो ।
 
ना हरी भजना ना गुरु सेवा ना कछु दान दियो ।
 
 
सूरदास मिथ्या तन खोवत जब ये जमही आन मिल्यो ॥ जन०॥४॥
 
सूरदास मिथ्या तन खोवत जब ये जमही आन मिल्यो ॥ जन०॥४॥
 
 
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३१.
 
३१.
  
 
देखो ऐसो हरी सुभाव देखो ऐसो हरी सुभाव बिनु गंभीर उदार उदधि प्रभु जानी शिरोमणी राव ॥ध्रु०॥
 
देखो ऐसो हरी सुभाव देखो ऐसो हरी सुभाव बिनु गंभीर उदार उदधि प्रभु जानी शिरोमणी राव ॥ध्रु०॥
 
 
बदन प्रसन्न कमलपद सुनमुख देखत है जैसे | बिमुख भयेकी कृपावा मुखकी फिरी चितवो तो तैसे ॥दे०॥१॥
 
बदन प्रसन्न कमलपद सुनमुख देखत है जैसे | बिमुख भयेकी कृपावा मुखकी फिरी चितवो तो तैसे ॥दे०॥१॥
 
 
सरसो इतनी सेवाको फल मानत मेरु समान । मानत सबकुच सिंधु अपराधहि बुंद आपने जान ॥दे०॥२॥
 
सरसो इतनी सेवाको फल मानत मेरु समान । मानत सबकुच सिंधु अपराधहि बुंद आपने जान ॥दे०॥२॥
 
 
भक्तबिरह कातर करुणामय डोलत पाछे लाग । सूरदास ऐसे प्रभुको दये पाछे पिटी अभाग ॥दे०॥३॥
 
भक्तबिरह कातर करुणामय डोलत पाछे लाग । सूरदास ऐसे प्रभुको दये पाछे पिटी अभाग ॥दे०॥३॥
 
 
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३२.
 
३२.
  
 
सब दिन गये विषयके हेत सब दिन गये ॥
 
सब दिन गये विषयके हेत सब दिन गये ॥
 
 
गंगा जल छांड कूप जल पिवत हरि तजी पूजत प्रेत ॥ध्रु०॥
 
गंगा जल छांड कूप जल पिवत हरि तजी पूजत प्रेत ॥ध्रु०॥
 
 
जानि बुजी अपनो तन खोयो केस भये सब स्वेत ।
 
जानि बुजी अपनो तन खोयो केस भये सब स्वेत ।
 
 
श्रवण न सुनत नैनत देखत थके चरनके चेत ॥ सब०॥१॥
 
श्रवण न सुनत नैनत देखत थके चरनके चेत ॥ सब०॥१॥
 
 
रुधे द्वार शब्द छष्ण नहि आवत । चंद्र ग्रहे जेसे केत ।
 
रुधे द्वार शब्द छष्ण नहि आवत । चंद्र ग्रहे जेसे केत ।
 
 
सूरदास कछु ग्रंथ नहि लागत । अबे कृष्ण नामको लेत ॥ सब०॥२॥
 
सूरदास कछु ग्रंथ नहि लागत । अबे कृष्ण नामको लेत ॥ सब०॥२॥
 
 
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३३.
 
३३.
  
 
मन तोये भुले भक्ति बिसारी मन तो ये भुले भक्ति बिसारी ।
 
मन तोये भुले भक्ति बिसारी मन तो ये भुले भक्ति बिसारी ।
 
 
शिरपर काल सदासर सांधत देखत बाजीहारी ॥ध्रु०॥
 
शिरपर काल सदासर सांधत देखत बाजीहारी ॥ध्रु०॥
 
 
कौन जमनातें सकृत कीनो मनुख देहधरी ।
 
कौन जमनातें सकृत कीनो मनुख देहधरी ।
 
 
तामे नीच करम रंग रच्यो दुष्ट बासना धरी ॥ मन० ॥१॥
 
तामे नीच करम रंग रच्यो दुष्ट बासना धरी ॥ मन० ॥१॥
 
 
बालपनें खेलनमें खोयो जीवन गयो संग नारी ।
 
बालपनें खेलनमें खोयो जीवन गयो संग नारी ।
 
 
वृद्ध भयो जब आलस आयो सर्वस्व हार्यो जुवारी ॥ मन०॥२॥
 
वृद्ध भयो जब आलस आयो सर्वस्व हार्यो जुवारी ॥ मन०॥२॥
 
 
अजहुं जरा रोग नहीं व्यापी तहांलो भजलो मुरारी ।
 
अजहुं जरा रोग नहीं व्यापी तहांलो भजलो मुरारी ।
 
 
कहे सूर तूं चेत सबेरो अंतकाल भय भारी ॥ मन०॥३॥
 
कहे सूर तूं चेत सबेरो अंतकाल भय भारी ॥ मन०॥३॥
 
 
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३४.
 
३४.
  
 
बेर बेर नही आवे अवसर बेर बेर नही आवे ।
 
बेर बेर नही आवे अवसर बेर बेर नही आवे ।
 
 
जो जान तो करले भलाई जन्मोजन्म सुख पावे ॥ बरे०॥१॥
 
जो जान तो करले भलाई जन्मोजन्म सुख पावे ॥ बरे०॥१॥
 
 
धन जोबत अंजलीको पाणी बखणतां बेर नहीं लागे ।
 
धन जोबत अंजलीको पाणी बखणतां बेर नहीं लागे ।
 
 
तन छुटे धन कोन कामको काहेकूं करनी कहावे ॥ बेर बेर०॥२॥
 
तन छुटे धन कोन कामको काहेकूं करनी कहावे ॥ बेर बेर०॥२॥
 
 
ज्याको मन बडो कृष्ण स्नेहकुं झूठ कबहूं नही आवे ।
 
ज्याको मन बडो कृष्ण स्नेहकुं झूठ कबहूं नही आवे ।
 
 
सूरदासकी येही बिनती हरखी निरखी गुन गावे ॥ बेर बेर०॥३॥
 
सूरदासकी येही बिनती हरखी निरखी गुन गावे ॥ बेर बेर०॥३॥
 
 
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३५.
 
३५.
 
 
केत्ते गये जखमार भजनबिना केत्ते गये० ॥ध्रु०॥
 
केत्ते गये जखमार भजनबिना केत्ते गये० ॥ध्रु०॥
 
 
प्रभाते उठी नावत धोवत पालत है आचार ॥ भज०॥१॥
 
प्रभाते उठी नावत धोवत पालत है आचार ॥ भज०॥१॥
 
 
दया धर्मको नाम न जाण्यो ऐसो प्रेत चंडाल ॥ भज०॥२॥
 
दया धर्मको नाम न जाण्यो ऐसो प्रेत चंडाल ॥ भज०॥२॥
 
 
आप डुबे औरनकूं डुबाये चले लोभकी लार ॥ भज०॥३॥
 
आप डुबे औरनकूं डुबाये चले लोभकी लार ॥ भज०॥३॥
 
 
माला छापा तिलक बनायो ठग खायो संसार ॥ भज०॥४॥
 
माला छापा तिलक बनायो ठग खायो संसार ॥ भज०॥४॥
 
 
सूरदास भगवंत भजन बिना पडे नर्कके द्वार ॥ भज०॥५॥
 
सूरदास भगवंत भजन बिना पडे नर्कके द्वार ॥ भज०॥५॥
 
 
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३६.
 
३६.
 
 
क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर क्यौरे निंदभर सोया ॥ध्रु०॥
 
क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर क्यौरे निंदभर सोया ॥ध्रु०॥
 
 
मनुजा देहि देवनकु दुर्लभ जन्म अकारन खोया ॥ मुसा०॥१॥
 
मनुजा देहि देवनकु दुर्लभ जन्म अकारन खोया ॥ मुसा०॥१॥
 
 
घर दारा जोबन सुत तेरा वामें मन तेरा मोह्या ॥ मुसा०॥२॥
 
घर दारा जोबन सुत तेरा वामें मन तेरा मोह्या ॥ मुसा०॥२॥
 
 
सूरदास प्रभु चलेही पंथकु पिछे नैनूं भरभर रोया ॥ मुसा०॥३॥
 
सूरदास प्रभु चलेही पंथकु पिछे नैनूं भरभर रोया ॥ मुसा०॥३॥
 
 
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३७.
 
३७.
 
 
जय जय श्री बालमुकुंदा । मैं हूं चरण चरण रजबंदा ॥ध्रु०॥
 
जय जय श्री बालमुकुंदा । मैं हूं चरण चरण रजबंदा ॥ध्रु०॥
 
 
देवकीके घर जन्म लियो जद । छुट परे सब बंदा ॥ च०॥१॥
 
देवकीके घर जन्म लियो जद । छुट परे सब बंदा ॥ च०॥१॥
 
 
मथुरा त्यजे हरि गोकुल आये । नाम धरे जदुनंदा ॥ च०॥२॥
 
मथुरा त्यजे हरि गोकुल आये । नाम धरे जदुनंदा ॥ च०॥२॥
 
 
जमुनातीरपर कूद परोहै । फनपर नृत्यकरंदा जमुनातीरपर कूद परोहै ।
 
जमुनातीरपर कूद परोहै । फनपर नृत्यकरंदा जमुनातीरपर कूद परोहै ।
 
 
फरपर नृत्यकरंदा ॥ च०॥३॥
 
फरपर नृत्यकरंदा ॥ च०॥३॥
 
 
सूरदास प्रभु तुमारे दरशनकु । तुमही आनंदकंदा ॥ च०॥४॥
 
सूरदास प्रभु तुमारे दरशनकु । तुमही आनंदकंदा ॥ च०॥४॥
 
 
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३८.
 
३८.
 
 
निरधनको धनि राम । हमारो०॥ध्रु०॥
 
निरधनको धनि राम । हमारो०॥ध्रु०॥
 
 
खान न खर्चत चोर न लूटत । साथे आवत काम ॥ह०॥१॥
 
खान न खर्चत चोर न लूटत । साथे आवत काम ॥ह०॥१॥
 
 
दिन दिन होत सवाई दीढी । खरचत को नहीं दाम ॥ह०॥२॥
 
दिन दिन होत सवाई दीढी । खरचत को नहीं दाम ॥ह०॥२॥
 
 
सूरदास प्रभु मुखमों आवत । और रसको नही काम हमारो०॥३॥
 
सूरदास प्रभु मुखमों आवत । और रसको नही काम हमारो०॥३॥
 
 
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३९.
 
३९.
 
 
अद्‌भुत एक अनुपम बाग ॥ध्रु०॥
 
अद्‌भुत एक अनुपम बाग ॥ध्रु०॥
 
 
जुगल कमलपर गजवर क्रीडत तापर सिंह करत अनुराग ॥१॥
 
जुगल कमलपर गजवर क्रीडत तापर सिंह करत अनुराग ॥१॥
 
 
हरिपर सरवर गिरीवर गिरपर फुले कुंज पराग ॥२॥
 
हरिपर सरवर गिरीवर गिरपर फुले कुंज पराग ॥२॥
 
 
रुचित कपोर बसत ताउपर अमृत फल ढाल ॥३॥
 
रुचित कपोर बसत ताउपर अमृत फल ढाल ॥३॥
 
 
फलवर पुहूप पुहुपपर पलव तापर सुक पिक मृगमद काग ॥४॥
 
फलवर पुहूप पुहुपपर पलव तापर सुक पिक मृगमद काग ॥४॥
 
 
खंजन धनुक चंद्रमा राजत ताउपर एक मनीधर नाग ॥५॥
 
खंजन धनुक चंद्रमा राजत ताउपर एक मनीधर नाग ॥५॥
 
 
अंग अंग प्रती वोरे वोरे छबि उपमा ताको करत न त्याग ॥६॥
 
अंग अंग प्रती वोरे वोरे छबि उपमा ताको करत न त्याग ॥६॥
 
 
सूरदास प्रभु पिवहूं सुधारस मानो अधरनिके बड भाग ॥७॥
 
सूरदास प्रभु पिवहूं सुधारस मानो अधरनिके बड भाग ॥७॥
 
 
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४०.
 
४०.
 
 
तबमें जानकीनाथ कहो ॥ध्रु०॥
 
तबमें जानकीनाथ कहो ॥ध्रु०॥
 
 
सागर बांधु सेना उतारो । सोनेकी लंका जलाहो ॥१॥
 
सागर बांधु सेना उतारो । सोनेकी लंका जलाहो ॥१॥
 
 
तेतीस कोटकी बंद छुडावूं बिभिसन छत्तर धरावूं ॥२॥
 
तेतीस कोटकी बंद छुडावूं बिभिसन छत्तर धरावूं ॥२॥
 
 
सूरदास प्रभु लंका जिती । सो सीता घर ले आवो ।
 
सूरदास प्रभु लंका जिती । सो सीता घर ले आवो ।
 
 
तबमें जानकीनाथ०॥३॥
 
तबमें जानकीनाथ०॥३॥
 
 
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४१.
 
४१.
 
 
कमलापती भगवान । मारो साईं कम०॥ध्रु०॥
 
कमलापती भगवान । मारो साईं कम०॥ध्रु०॥
 
 
राम लछमन भरत शत्रुघन । चवरी डुलावे हनुमान ॥१॥
 
राम लछमन भरत शत्रुघन । चवरी डुलावे हनुमान ॥१॥
 
 
मोर मुगुट पितांबर सोभे । कुंडल झलकत कान ॥२॥
 
मोर मुगुट पितांबर सोभे । कुंडल झलकत कान ॥२॥
 
 
सूरदास प्रभु तुमारे मिलनकुं । दासाकुं वांको ध्यान ।
 
सूरदास प्रभु तुमारे मिलनकुं । दासाकुं वांको ध्यान ।
 
 
मारू सांई कमलापती० ॥३॥
 
मारू सांई कमलापती० ॥३॥
 
 
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४२.
 
४२.
 
 
उधो मनकी मनमें रही ॥ध्रु०॥
 
उधो मनकी मनमें रही ॥ध्रु०॥
 
 
गोकुलते जब मथुरा पधारे । कुंजन आग देही ॥१॥
 
गोकुलते जब मथुरा पधारे । कुंजन आग देही ॥१॥
 
 
पतित अक्रूर कहासे आये । दुखमें दाग देही ॥२॥
 
पतित अक्रूर कहासे आये । दुखमें दाग देही ॥२॥
 
 
तन तालाभरना रही उधो । जल बल भस्म भई ॥३॥
 
तन तालाभरना रही उधो । जल बल भस्म भई ॥३॥
 
 
हमरी आख्या भर भर आवे । उलटी गंगा बही ॥४॥
 
हमरी आख्या भर भर आवे । उलटी गंगा बही ॥४॥
 
 
सूरदास प्रभु तुमारे मिलन । जो कछु भई सो भई ॥५॥
 
सूरदास प्रभु तुमारे मिलन । जो कछु भई सो भई ॥५॥
 
 
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४३.
 
४३.
 
 
नारी दूरत बयाना रतनारे ॥ध्रु०॥
 
नारी दूरत बयाना रतनारे ॥ध्रु०॥
 
 
जानु बंधु बसुमन बिसाल पर सुंदर शाम सीली मुख तारे ।
 
जानु बंधु बसुमन बिसाल पर सुंदर शाम सीली मुख तारे ।
 
 
रहीजु अलक कुटील कुंडलपर मोतन चितवन चिते बिसारे ।
 
रहीजु अलक कुटील कुंडलपर मोतन चितवन चिते बिसारे ।
 
 
सिथील मोंह धनु गये मदन गुण रहे कोकनद बान बिखारे ।
 
सिथील मोंह धनु गये मदन गुण रहे कोकनद बान बिखारे ।
 
 
मुदेही आवत है ये लोचन पलक आतुर उधर तन उधारे ।
 
मुदेही आवत है ये लोचन पलक आतुर उधर तन उधारे ।
 
 
सूरदास प्रभु सोई धो कहो आतुर ऐसोको बनिता जासो रति रहनारे ॥१॥
 
सूरदास प्रभु सोई धो कहो आतुर ऐसोको बनिता जासो रति रहनारे ॥१॥
 
 
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४४.
 
४४.
 
 
अति सूख सुरत किये ललना संग जात समद मन्मथ सर जोरे ।
 
अति सूख सुरत किये ललना संग जात समद मन्मथ सर जोरे ।
 
 
राती उनीदे अलसात मरालगती गोकुल चपल रहतकछु थोरे ।
 
राती उनीदे अलसात मरालगती गोकुल चपल रहतकछु थोरे ।
 
 
मनहू कमलके को सते प्रीतम ढुंडन रहत छपी रीपु दल दोरे ।
 
मनहू कमलके को सते प्रीतम ढुंडन रहत छपी रीपु दल दोरे ।
 
 
सजल कोप प्रीतमै सुशोभियत संगम छबि तोरपर ढोरे ।
 
सजल कोप प्रीतमै सुशोभियत संगम छबि तोरपर ढोरे ।
 
 
मनु भारते भवरमीन शिशु जात तरल चितवन चित चोरे ।
 
मनु भारते भवरमीन शिशु जात तरल चितवन चित चोरे ।
 
 
वरनीत जाय कहालो वरनी प्रेम जलद बेलावल ओरे ।
 
वरनीत जाय कहालो वरनी प्रेम जलद बेलावल ओरे ।
 
 
सूरदास सो कोन प्रिया जिनी हरीके सकल अंग बल तोरे ॥१॥
 
सूरदास सो कोन प्रिया जिनी हरीके सकल अंग बल तोरे ॥१॥
 
 
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४५.
 
४५.
 
 
रैन जागी पिया संग रंग मीनी ॥ध्रु०॥
 
रैन जागी पिया संग रंग मीनी ॥ध्रु०॥
 
 
प्रफुल्लित मुख कंज नेन खजरीटमान मेन मिथुरी । रहे चुरन कच बदन ओप किनी ॥१॥
 
प्रफुल्लित मुख कंज नेन खजरीटमान मेन मिथुरी । रहे चुरन कच बदन ओप किनी ॥१॥
 
 
आतुर आलस जंभात पूलकीत अतिपान खाद मद । माते तन मुधीन रही सीथल भई बेनी ॥२॥
 
आतुर आलस जंभात पूलकीत अतिपान खाद मद । माते तन मुधीन रही सीथल भई बेनी ॥२॥
 
 
मांगते टरी मुक्तता हल अलक संग अरुची रही ऊरग । नसत फनी मानो कुंचकी तजी दिनी ॥३॥
 
मांगते टरी मुक्तता हल अलक संग अरुची रही ऊरग । नसत फनी मानो कुंचकी तजी दिनी ॥३॥
 
 
बिकसत ज्यौं चंपकली भोर भये भवन चली लटपटात । प्रेम घटी गजगती गती लिन्हा ॥४॥
 
बिकसत ज्यौं चंपकली भोर भये भवन चली लटपटात । प्रेम घटी गजगती गती लिन्हा ॥४॥
 
 
आरतीको करत नाश गिरिधर सुठी सुखकी रासी सूरदास । स्वामीनी गुन गने न जात चिन्ही ॥५॥
 
आरतीको करत नाश गिरिधर सुठी सुखकी रासी सूरदास । स्वामीनी गुन गने न जात चिन्ही ॥५॥
 
 
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४६.
 
४६.
 
 
खेलिया आंगनमें छगन मगन किजिये कलेवा । छीके ते सारी दधी उपर तें कढी धरी पहीर ।
 
खेलिया आंगनमें छगन मगन किजिये कलेवा । छीके ते सारी दधी उपर तें कढी धरी पहीर ।
 
 
लेवूं झगुली फेंटा बाँधी लेऊं मेवा ॥१॥
 
लेवूं झगुली फेंटा बाँधी लेऊं मेवा ॥१॥
 
 
गवालनके संग खेलन जाऊं खेलनके मीस भूषण ल्याऊं । कौन परी प्यारे ललन नीसदीनकी ठेवा ॥२॥
 
गवालनके संग खेलन जाऊं खेलनके मीस भूषण ल्याऊं । कौन परी प्यारे ललन नीसदीनकी ठेवा ॥२॥
 
 
सूरदास मदनमोहन घरही खेलो प्यारे । ललन भंवरा चक डोर दे हो हंस चकोर परेवा ॥३॥
 
सूरदास मदनमोहन घरही खेलो प्यारे । ललन भंवरा चक डोर दे हो हंस चकोर परेवा ॥३॥
  
 
४७.
 
४७.
 
 
काना कुबजा संग रिझोरे । काना मोरे करि कामारिया ॥ध्रु०॥
 
काना कुबजा संग रिझोरे । काना मोरे करि कामारिया ॥ध्रु०॥
 
 
मैं जमुना जल भरन जात रामा । मेरे सिरपर घागरियां ॥ का०॥१॥
 
मैं जमुना जल भरन जात रामा । मेरे सिरपर घागरियां ॥ का०॥१॥
 
 
मैं जी पेहरी चटक चुनरिया । नाक नथनियां बसरिया ॥ का०॥२॥
 
मैं जी पेहरी चटक चुनरिया । नाक नथनियां बसरिया ॥ का०॥२॥
 
 
ब्रिंदाबनमें जो कुंज गलिनमो । घेरलियो सब ग्वालनिया ॥ का०॥३॥
 
ब्रिंदाबनमें जो कुंज गलिनमो । घेरलियो सब ग्वालनिया ॥ का०॥३॥
 
 
जमुनाके निरातीर धेनु चरावे । नाव नथनीके बेसरियां ॥ का०॥४॥
 
जमुनाके निरातीर धेनु चरावे । नाव नथनीके बेसरियां ॥ का०॥४॥
 
 
सूरदास प्रभु तुमरे दरसनकु । चरन कमल चित्त धरिया ॥ का०॥५॥
 
सूरदास प्रभु तुमरे दरसनकु । चरन कमल चित्त धरिया ॥ का०॥५॥
 
 
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४८.
 
४८.
 
 
कोण गती ब्रिजनाथ । अब मोरी कोण गती ब्रिजनाथ ॥ध्रु०॥
 
कोण गती ब्रिजनाथ । अब मोरी कोण गती ब्रिजनाथ ॥ध्रु०॥
 
 
भजनबिमुख अरु स्मरत नही । फिरत विषया साथ ॥१॥
 
भजनबिमुख अरु स्मरत नही । फिरत विषया साथ ॥१॥
 
 
हूं पतीत अपराधी पूरन । आचरु कर्म विकार ॥२॥
 
हूं पतीत अपराधी पूरन । आचरु कर्म विकार ॥२॥
 
 
काम क्रोध अरु लाभ । चित्रवत नाथ तुमही ॥३॥
 
काम क्रोध अरु लाभ । चित्रवत नाथ तुमही ॥३॥
 
 
विकार अब चरण सरण लपटाणो । राखीलो महाराज ॥४॥
 
विकार अब चरण सरण लपटाणो । राखीलो महाराज ॥४॥
 
 
सूरदास प्रभु पतीतपावन । सरनको ब्रीद संभार ॥५॥
 
सूरदास प्रभु पतीतपावन । सरनको ब्रीद संभार ॥५॥
 
 
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४९.
 
४९.
 
 
चोरी मोरी गेंदया मैं कैशी जाऊं पाणीया ॥ध्रु०॥
 
चोरी मोरी गेंदया मैं कैशी जाऊं पाणीया ॥ध्रु०॥
 
 
ठाडे केसनजी जमुनाके थाडे । गवाल बाल सब संग लियो ।
 
ठाडे केसनजी जमुनाके थाडे । गवाल बाल सब संग लियो ।
 
 
न्यारे न्यारे खेल खेलके । बनसी बजाये पटमोहे ॥ चो०॥१॥
 
न्यारे न्यारे खेल खेलके । बनसी बजाये पटमोहे ॥ चो०॥१॥
 
 
सब गवालनके मनको लुभावे । मुरली खूब ताल सुनावे ।
 
सब गवालनके मनको लुभावे । मुरली खूब ताल सुनावे ।
 
 
गोपि घरका धंदा छोडके । श्यामसे लिपट जावे ॥ चो०॥२॥
 
गोपि घरका धंदा छोडके । श्यामसे लिपट जावे ॥ चो०॥२॥
 
 
सूरदास प्रभू तुमरे चरणपर । प्रेम नेमसे भजत है ।
 
सूरदास प्रभू तुमरे चरणपर । प्रेम नेमसे भजत है ।
 
 
दया करके देना दर्शन । अनाथ नाथ तुमारा है ॥ चो०॥३॥
 
दया करके देना दर्शन । अनाथ नाथ तुमारा है ॥ चो०॥३॥
 
 
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५०.
 
५०.
 
 
खेलने न जाऊं मैया ग्वालिनी खिजावे मोहे ।
 
खेलने न जाऊं मैया ग्वालिनी खिजावे मोहे ।
 
 
पीत बसन गुंज माला लेती है छुडायके ॥ध्रु०॥
 
पीत बसन गुंज माला लेती है छुडायके ॥ध्रु०॥
 
 
कोई तेरा नाम लेके लागी गारी मोकु देण ।
 
कोई तेरा नाम लेके लागी गारी मोकु देण ।
 
 
मैं भी वाकूं गारी देके आयहुं पलायके ॥ खे०॥१॥
 
मैं भी वाकूं गारी देके आयहुं पलायके ॥ खे०॥१॥
 
 
कोई मेरा मुख चुंबे भवन बुलाय केरी ।
 
कोई मेरा मुख चुंबे भवन बुलाय केरी ।
 
 
कांचली उतार लेती देती है नचायके ॥ खे०॥२॥
 
कांचली उतार लेती देती है नचायके ॥ खे०॥२॥
 
 
सूरदास तो तलात नमयासु कहत बात हांसे ।
 
सूरदास तो तलात नमयासु कहत बात हांसे ।
 
 
उठ मैया लेती कंठ लगायके । खेलनेन जाऊं ॥ खे०॥३॥
 
उठ मैया लेती कंठ लगायके । खेलनेन जाऊं ॥ खे०॥३॥
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16:53, 24 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

.१.
देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरिकी ॥ध्रु०॥
आरुण चरण कुलिशकंज । चंदनसो करत रंग सूरदास जंघ जुगुली खंब कदली ।
कटी जोकी हरिकी ॥१॥
उदर मध्य रोमावली । भवर उठत सरिता चली । वत्सांकित हृदय भान ।
चोकि हिरनकी ॥२॥
दसनकुंद नासासुक । नयनमीन भवकार्मुक । केसरको तिलक भाल ।
शोभा मृगमदकी ॥३॥
सीस सोभे मयुरपिच्छ । लटकत है सुमन गुच्छ । सूरदास हृदय बसे ।
मूरत मोहनकी ॥४॥

२.
श्रीराधा मोहनजीको रूप निहारो ॥ध्रु०॥
छोटे भैया कृष्ण बडे बलदाऊं चंद्रवंश उजिआरो ॥श्री०॥१॥
मोर मुगुट मकराकृत कुंडल पितांबर पट बारो ॥श्री०॥२॥
हलधर गीरधर मदन मनोहर जशोमति नंद दुलारी ॥श्री०॥३॥
शंख चक्र गदा पद्म विराजे असुरन भंजन हारो ॥श्री०॥४॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे वोढे कामर कारो ॥श्री०॥५॥
निरमल जल जमुनाजीको किनो नागनाथ लीयो कारो ॥श्री०॥६॥
इंद्र कोप चढे व्रज उपर नखपर गीरवर धारो ॥श्री०॥७॥
कनक सिंहासन जदुवर बैठे कोटि भानु उजिआरो ॥श्री०॥८॥
माता जशोदा करत आरती बार बार बलिहारो ॥श्री०॥९॥
सूरदास हरिको रूप निहारे जीवन प्रान हमारे ॥श्री०॥१०॥
 
३.
राधे कृष्ण कहो मेरे प्यारे भजो मेरे प्यारे जपो मेरे प्यारे ॥ध्रु०॥
भजो गोविंद गोपाळ राधे कृष्ण कहो मेरे ॥ प्यारे०॥१॥
कृष्णजीकी लाल लाल अखियां हो लाल अखियां ।
जैसी खिलीरे गुलाब ॥राधे०॥२॥
सिरपर मुगुट विराजे हो विराजे । बन्सी शोभे रसाल ॥राधे०॥३॥
पितांबर पटकुलवाली हो पटकुलवाली कंठे मोतियनकी माल ॥राधे०॥४॥
शुभ काने कुंडल झलके हो कुंडल झलके । तिलक शोभेरे ललाट ॥राधे०॥५॥
सूरदास चरण बलिहारी हो चरण बलिहारी । मै तो जनम जनम तिहारो दास ॥राधे०॥६॥
 
४.
नंद दुवारे एक जोगी आयो शिंगी नाद बजायो ।
सीश जटा शशि वदन सोहाये अरुण नयन छबि छायो ॥ नंद ॥ध्रु०॥
रोवत खिजत कृष्ण सावरो रहत नही हुलरायो ।
लीयो उठाय गोद नंदरानी द्वारे जाय दिखायो ॥नंद०॥१॥
अलख अलख करी लीयो गोदमें चरण चुमि उर लायो ।
श्रवण लाग कछु मंत्र सुनायो हसी बालक कीलकायो ॥ नंद ॥२॥
चिरंजीवोसुत महरी तिहारो हो जोगी सुख पायो ।
सूरदास रमि चल्यो रावरो संकर नाम बतायो ॥ नंद॥३॥
 
५.
देख देख एक बाला जोगी द्वारे मेरे आया हो ॥ध्रु०॥
पीतपीतांबर गंगा बिराजे अंग बिभूती लगाया हो । तीन नेत्र अरु तिलक चंद्रमा जोगी जटा बनाया हो ॥१॥
भिछा ले निकसी नंदरानी मोतीयन थाल भराया हो । ल्यो जोगी जाओ आसनपर मेरा लाल दराया हो ॥२॥
ना चईये तेरी माया हो अपनो गोपाल बताव नंदरानी । हम दरशनकु आया हो ॥३॥
बालकले निकसी नंदरानी जोगीयन दरसन पाया हो । दरसन पाया प्रेम बस नाचे मन मंगल दरसाया हो ॥४॥
देत आसीस चले आसनपर चिरंजीव तेरा जाया हो । सूरदास प्रभु सखा बिराजे आनंद मंगल गाया हो ॥५॥

 
६.

बासरी बजाय आज रंगसो मुरारी । शिव समाधि भूलि गयी मुनि मनकी तारी ॥ बा०॥ध्रु०॥
बेद भनत ब्रह्मा भुले भूले ब्रह्मचरी । सुनतही आनंद भयो लगी है करारी ॥ बास०॥१॥
रंभा सब ताल चूकी भूमी नृत्य कारी । यमुना जल उलटी बहे सुधि ना सम्हारी ॥ बा०॥२॥
श्रीवृंदावन बन्सी बजी तीन लोक प्यारी । ग्वाल बाल मगन भयी व्रजकी सब नारी ॥ बा०॥३॥
सुंदर श्याम मोहन मुरती नटबर वपुधारी । सूरकिशोर मदन मोहन चरण कमल बलिहारी ॥ बास०॥४॥


७.
जागो पीतम प्यारा लाल तुम जागो बन्सिवाला । तुमसे मेरो मन लाग रह्यो तुम जागो मुरलीवाला ॥ जा०॥ध्रु०॥
बनकी चिडीयां चौं चौं बोले पंछी करे पुकारा । रजनि बित और भोर भयो है गरगर खुल्या कमरा ॥१॥
गरगर गोपी दहि बिलोवे कंकणका ठिमकारा । दहिं दूधका भर्‍या कटोरा सावर गुडाया डारा ॥ जा०॥२॥
धेनु उठी बनमें चली संग नहीं गोवारा । ग्वाल बाल सब द्वारे ठाडे स्तुति करत अपारा ॥ जा०॥३॥
शिव सनकादिक और ब्रह्मादिक गुन गावे प्रभू तोरा । सूरदास बलिहार चरनपर चरन कमल चित मोरा ॥ जा०॥४॥
 
८.

ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी ऐसी भक्ति । सरवस त्याग मगन होय नाचे जनम करम गुन गावे ॥ उ०॥ध्रु०॥
कथनी कथे निरंतर मेरी चरन कमल चित लावे ॥ मुख मुरली नयन जलधारा करसे ताल बजावे ॥उ०॥१॥
जहां जहां चरन देत जन मेरो सकल तिरथ चली आवे । उनके पदरज अंग लगावे कोटी जनम सुख पावे ॥उ०॥२॥
उन मुरति मेरे हृदय बसत है मोरी सूरत लगावे । बलि बलि जाऊं श्रीमुख बानी सूरदास बलि जावे ॥उ०॥३॥

९.
ग्वाली ते मेरी गेंद चोराई ग्वालिनि तें मेरी गेंद चोराई । खेलत गेंद परी तोरे अंगना अंगिया बीच छिपाई ॥ध्रु०॥
काहेकी गेंद काहेकी धागा कौन हात बनाई फुलनकी गेंद । रेशमका धागा जशोमति हाथ बनाई ॥११॥
झुटे लाल झुट मति बोलो अंगिया तकत पराई । जो मेरी अंगियामें गेंद जो निकसे भूल जावो ठकुराई ॥ ग्या०॥२॥
हस हस बात करत राधे संग उतसें जशोदा आई । सूरदास प्रभु चतुर कनैया एक गये दो पाई ॥ ग्वा०॥३॥
 
१०.
नेक चलो नंदरानी उहां लगी नेक चलो नंदारानी ॥ध्रु०॥
देखो आपने सुतकी करनी दूध मिलावत पानी ॥उ०॥१॥
हमरे शिरकी नयी चुनरिया ले गोरसमें सानी ॥उ०॥२॥
हमरे उनके करन बाद है हम देखावत जबानी ॥उ०॥३॥
तुमरे कुलकी ऐशी बतीया सो हमारे सब जानी ॥उ०॥४॥
पिता तुमारे कंस घर बांधे आप कहावत दानी ॥उ०॥५॥
यह व्रजको बसवो हम त्यागो आप रहो राजधानी ॥उ०॥६॥
सूरदास उखर उखरकी बरखा थोर जल उतरानी ॥उ०॥७॥
 
११.
देखो माई हलधर गिरधर जोरी ॥ध्रु०॥
हलधर हल मुसल कलधारे गिरधर छत्र धरोरी ॥देखो०॥१॥
हलधर ओढे पित पितांबर गिरधर पीत पिछोरी ॥देखो०॥२॥
हलधर केहे मेरी कारी कामरी गीरधरने ली चोरी ॥देखो०॥३॥
सूरदास प्रभुकी छबि निरखे भाग बडे जीन कोरी ॥देखो०॥४॥
 
१२.
नेननमें लागि रहै गोपाळ नेननमें ॥ध्रु०॥
मैं जमुना जल भरन जात रही भर लाई जंजाल ॥ने०॥१॥
रुनक झुनक पग नेपुर बाजे चाल चलत गजराज ॥ने०॥२॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे संग लखो लिये ग्वाल ॥ने०॥३॥
बिन देखे मोही कल न परत है निसदिन रहत बिहाल ॥ने०॥४॥
लोक लाज कुलकी मरजादा निपट भ्रमका जाल ॥ने०॥५॥
वृंदाबनमें रास रचो है सहस्त्र गोपि एक लाल ॥ने०॥६॥
मोर मुगुट पितांबर सोभे गले वैजयंती माल ॥ने०॥७॥
शंख चक्र गदा पद्म विराजे वांके नयन बिसाल ॥ने०॥८॥
सुरदास हरिको रूप निहारे चिरंजीव रहो नंद लाल ॥ने०॥९॥

१३.
दरसन बिना तरसत मोरी अखियां ॥ध्रु०॥
तुमी पिया मोही छांड सीधारे फरकन लागी छतिया ॥द०॥१॥
बस्ति छाड उज्जड किनी व्याकुल भ‍ई सब सखियां ॥द०॥२॥
सूरदास कहे प्रभु तुमारे मिलनकूं ज्युजलंती मुख बतिया ॥द०॥३॥
 
१४.
सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी सांवरे मोकुं रंगमें बोरी बोरी ॥ध्रु०॥
बहीयां पकर कर शीरकी गागरिया । छिन गागर ढोरी ।
रंगमें रस बस मोकूं किनी । डारी गुलालनकी झोरी । गावत लागे मुखसे होरी ॥सा०॥१॥
आयो अचानक मिले मंदिरमें । देखत नवल किशोरी ।
धरी भूजा मोकुं पकरी जीवनने बलजोरे । माला मोतियनकी तोरी ॥सा०॥२॥
तब मोरे जोर कछु न चालो । बात कठीन सुनाई ।
तबसे उनकु नेन दिखायो मत जानो मोकूं मोरी । जानु तोरे चितकी चोरी ॥सा०॥३॥
मरजादा हमेरी कछु न राखी कंचुबोकी कसतोरी ।
सूरदास प्रभु तुमारे मिलनकू मोकूं रंगमें बोरी । गईती मैं नंदजीकी पोरी ॥सा०॥४॥

१५.
हमसे छल कीनो काना नेनवा लगायके ॥ध्रु०॥
जमुनाजलमें जीपें गेंद डारी कालि नागनाथ लाये । इंद्रको गुमान हर्यो गोवरधन धारके ॥ह०॥१॥
मोर मुगुट बांधे काली कामरी खांदे । जमुनाजीमें ठाडो काना बासरी बजायके ॥ह०॥२॥
देवकीको जायो काना आधिरेन गोकुल आयो । जशोदा रमायो काना माखन खिलायके ॥ह०॥३॥
गोपि सब त्याग दिनी कुबजा संग प्रीत कीनि । सूर कहे प्रभु दरुशन दीजे मोरी व्रजमें आयके ॥ह०॥४॥

१६.
जमुनाके तीर बन्सरी बजावे कानो ॥ज०॥ध्रु०॥
बन्सीके नाद थंभ्यो जमुनाको नीर खग मृग धेनु मोहि कोकिला अनें किर ॥बं०॥१॥
सुरनर मुनि मोह्या रागसो गंभीर । धुन सुन मोहि गोपि भूली आंग चीर ॥बं०॥२॥
मारुत तो अचल भयो धरी रह्यो धीर । गौवनका बच्यां मोह्यां पीवत न खीर ॥बं०॥३॥
सूर कहे श्याम जादु कीन्ही हलधरके बीर । सबहीको मन मोह्या प्रभु सुख सरीर ॥ब०॥४॥
 
१७.
मधुरीसी बेन बजायके । मेरो मन मोह्यो सांवरा ॥ध्रु०॥
मेरे आंगनमें बांसको बेडलो सिंचो मन चित्त लायके । अब तो बेरण भई बासरी मोहन मुखपर आयके ॥सां०॥१॥
मैं जल जमुना भरन जातरी मारग रोक्यो आयके । बनसीमें कछु आचरण गावे राधेको नाम सुनायके ॥सा०॥२॥
घुंघटका पट ओडे आवें सब सखियां सरमायके । कहां कहेली सहेली सासु नणंदी घर जायके ॥सां०॥३॥
सूरदास गोकुलकी महिमा कबलग कहूं बनायके । एक बेर मोहे दरशन दीजो कुंज गलिनमें आयके ॥सां०॥४॥
 
१८.
काहू जोगीकी नजर लागी है मेरो कुंवर । कन्हिया रोवे ॥ध्रु०॥
घर घर हात दिखावे जशोदा दूध पीवे नहि सोवे । चारो डांडी सरल सुंदर ।
पलनेमें जु झुलावे ॥मे०॥१॥
मेरी गली तुम छिन मति आवो । अलख अलख मुख बोले ।
राई लवण उतारे यशोदा सुरप्रभूको सुवावे ॥मे०॥२॥
 
१९.
शाम नृपती मुरली भई रानी ॥ध्रु०॥
बन ते ल्याय सुहागिनी किनी । और नारी उनको न सोहानी ॥१॥
कबहु अधर आलिंगन कबहु । बचन सुनन तनु दसा भुलानी ॥२॥
सुरदास प्रभू तुमारे सरनकु । प्रेम नेमसे मिलजानी ॥३॥
 
२०.
मुरली कुंजनीनी कुंजनी बाजती ॥ध्रु०॥
सुनीरी सखी श्रवण दे अब तुजेही बिधि हरिमुख राजती ॥१॥
करपल्लव जब धरत सबैलै सप्त सूर निकल साजती ॥२॥
सूरदास यह सौती साल भई सबहीनके शीर गाजती ॥३॥
 
२१.
तुमको कमलनयन कबी गलत ॥ध्रु०॥
बदन कमल उपमा यह साची ता गुनको प्रगटावत ॥१॥
सुंदर कर कमलनकी शोभा चरन कमल कहवावत ॥२॥
और अंग कही कहा बखाने इतनेहीको गुन गवावत ॥३॥
शाम मन अडत यह बानी बढ श्रवण सुनत सुख पवावत ।
सूरदास प्रभु ग्वाल संघाती जानी जाती जन वावत ॥४॥
 
२२.
रसिक सीर भो हेरी लगावत गावत राधा राधा नाम ॥ध्रु०॥
कुंजभवन बैठे मनमोहन अली गोहन सोहन सुख तेरोई गुण ग्राम ॥१॥
श्रवण सुनत प्यारी पुलकित भई प्रफुल्लित तनु मनु रोम राम सुखराशी बाम ॥२॥
सूरदास प्रभु गिरीवर धरको चली मिलन गजराज गामिनी झनक रुनक बन धाम ॥३॥
 
२३.
फुलनको महल फुलनकी सज्या फुले कुंजबिहारी । फुली राधा प्यारी ॥ध्रु०॥
फुलेवे दंपती नवल मनन फुले फले करे केली न्यारी ॥१॥
फुलीलता वेली विविधा सुमन गन फुले आवन दोऊं है सुखकारी ॥२॥
सूरदास प्रभु प्यारपर बारत फुले फलचंपक बेली नेवारी ॥३॥
 
२४.
कायकूं बहार परी । मुरलीया ॥ कायकू ब०॥ध्रु०॥
जेलो तेरी ज्यानी पग पछानी । आई बनकी लकरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥१॥
घडी एक करपर घडी एक मुखपर । एक अधर धरी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥२॥
कनक बासकी मंगावूं लकरियां । छिलके गोल करी मुरलिया ॥ कायकु ब०॥३॥
सूरदासकी बाकी मुरलिये । संतन से सुधरी । मुरलिया काय०॥४॥
 
२५.
सुदामजीको देखत श्याम हसे सुदामजीको देखत० ॥ध्रु०॥
हम तुम मित्र है बालपनके । अब तुम दूर बसे ॥ सुदामजी ॥१॥
फाटीरे धोती टुटी पगडीयां । चालत पाव घसे ॥ सुदा०॥२॥
भाभिजीने कुछ भेट पठाई । पोवे तीन पैसे ॥ सुदा०॥३॥
सूरदास प्रभु तुम्हारे मिलनसे । कंचन मेल बसे ॥ सुदामजी०॥४॥

२६.
महाराज भवानी ब्रह्म भुवनकी रानी ॥ध्रु०॥
आगे शंकर तांडव करत है । भाव करत शुलपानी ॥ महा०॥१॥
सुरनर गंधर्वकी भिड भई है । आगे खडा दंडपानी ॥ महा०॥२॥
सुरदास प्रभु पल पल निरखत । भक्तवत्सल जगदानी ॥ महा०॥३॥
 
२७.
हरि जनकू हरिनाम बडो धन हरि जनकू हरिनाम ॥ ध्रु०॥
बिन रखवाले चोर नहि चोरत सुवत है सुख धाम ॥ ब०॥१॥
दिन दीन होते सवाई दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥२॥
सुरदास दोढी धरत नहीं कछु दाम ॥ ब०॥३॥
प्रभु सेवा जाकी पारससुं कहां काम ॥ ब०॥४॥
 
२८.
ऐसे संतनकी सेवा । कर मन ऐसे संतनकी सेवा ॥ध्रु०॥
शील संतोख सदा उर जिनके । नाम रामको लेवा ॥ क०॥१॥
आन भरोसो हृदय नहि जिनके । भजन निरंजन देवा ॥ क०॥२॥
जीन मुक्त फिरे जगमाही । ज्यु नारद मुनी देवा ॥ क०॥३॥
जिनके चरन कमलकूं इच्छत । प्रयाग जमुना रेवा ॥ क०॥४॥
सूरदास कर उनकी संग । मिले निरंजन देवा ॥ क०॥५॥
 
२९.
जयजय नारायण ब्रह्मपरायण श्रीपती कमलाकांत ॥ध्रु०॥
नाम अनंत कहां लगी बरनुं शेष न पावे अंत ।
शिव सनकादिक आदि ब्रह्मादिक सूर मुनिध्यान धरत ॥ जयजय० ॥१॥
मच्छ कच्छ वराह नारसिंह प्रभु वामन रूप धरत ।
परशुराम श्रीरामचंद्र भये लीला कोटी करत ॥ जयजय० ॥२॥
जन्म लियो वसुदेव देवकी घर जशूमती गोद खेलत ।
पेस पाताल काली नागनाथ्यो फणपे नृत्य करत ॥ जयजय० ॥३॥
बलदेव होयके असुर संहारे कंसके केश ग्रहत ।
जगन्नाथ जगमग चिंतामणी बैठ रहे निश्चत ॥ जयजय० ॥४॥
कलियुगमें अवतार कलंकी चहुं दिशी चक्र फिरत ।
द्वादशस्कंध भागवत गीता गावे सूर अनंत ॥ जयजय० ॥५॥

३०.

जनम सब बातनमें बित गयोरे ॥ध्रु०॥
बार बरस गये लडकाई । बसे जोवन भयो ।
त्रिश बरस मायाके कारन देश बिदेश गयो ॥१॥
चालीस अंदर राजकुं पायो बढे लोभ नित नयो ।
सुख संपत मायाके कारण ऐसे चलत गयो ॥ जन० ॥२॥
सुकी त्वचा कमर भई ढिली, ए सब ठाठ भयो ।
बेटा बहुवर कह्यो न माने बुड ना शठजीहू भयो ॥ जन० ॥३॥
ना हरी भजना ना गुरु सेवा ना कछु दान दियो ।
सूरदास मिथ्या तन खोवत जब ये जमही आन मिल्यो ॥ जन०॥४॥
 
३१.

देखो ऐसो हरी सुभाव देखो ऐसो हरी सुभाव बिनु गंभीर उदार उदधि प्रभु जानी शिरोमणी राव ॥ध्रु०॥
बदन प्रसन्न कमलपद सुनमुख देखत है जैसे | बिमुख भयेकी कृपावा मुखकी फिरी चितवो तो तैसे ॥दे०॥१॥
सरसो इतनी सेवाको फल मानत मेरु समान । मानत सबकुच सिंधु अपराधहि बुंद आपने जान ॥दे०॥२॥
भक्तबिरह कातर करुणामय डोलत पाछे लाग । सूरदास ऐसे प्रभुको दये पाछे पिटी अभाग ॥दे०॥३॥
 
३२.

सब दिन गये विषयके हेत सब दिन गये ॥
गंगा जल छांड कूप जल पिवत हरि तजी पूजत प्रेत ॥ध्रु०॥
जानि बुजी अपनो तन खोयो केस भये सब स्वेत ।
श्रवण न सुनत नैनत देखत थके चरनके चेत ॥ सब०॥१॥
रुधे द्वार शब्द छष्ण नहि आवत । चंद्र ग्रहे जेसे केत ।
सूरदास कछु ग्रंथ नहि लागत । अबे कृष्ण नामको लेत ॥ सब०॥२॥
 
३३.

मन तोये भुले भक्ति बिसारी मन तो ये भुले भक्ति बिसारी ।
शिरपर काल सदासर सांधत देखत बाजीहारी ॥ध्रु०॥
कौन जमनातें सकृत कीनो मनुख देहधरी ।
तामे नीच करम रंग रच्यो दुष्ट बासना धरी ॥ मन० ॥१॥
बालपनें खेलनमें खोयो जीवन गयो संग नारी ।
वृद्ध भयो जब आलस आयो सर्वस्व हार्यो जुवारी ॥ मन०॥२॥
अजहुं जरा रोग नहीं व्यापी तहांलो भजलो मुरारी ।
कहे सूर तूं चेत सबेरो अंतकाल भय भारी ॥ मन०॥३॥
 
३४.

बेर बेर नही आवे अवसर बेर बेर नही आवे ।
जो जान तो करले भलाई जन्मोजन्म सुख पावे ॥ बरे०॥१॥
धन जोबत अंजलीको पाणी बखणतां बेर नहीं लागे ।
तन छुटे धन कोन कामको काहेकूं करनी कहावे ॥ बेर बेर०॥२॥
ज्याको मन बडो कृष्ण स्नेहकुं झूठ कबहूं नही आवे ।
सूरदासकी येही बिनती हरखी निरखी गुन गावे ॥ बेर बेर०॥३॥
 
३५.
केत्ते गये जखमार भजनबिना केत्ते गये० ॥ध्रु०॥
प्रभाते उठी नावत धोवत पालत है आचार ॥ भज०॥१॥
दया धर्मको नाम न जाण्यो ऐसो प्रेत चंडाल ॥ भज०॥२॥
आप डुबे औरनकूं डुबाये चले लोभकी लार ॥ भज०॥३॥
माला छापा तिलक बनायो ठग खायो संसार ॥ भज०॥४॥
सूरदास भगवंत भजन बिना पडे नर्कके द्वार ॥ भज०॥५॥
 
३६.
क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर क्यौरे निंदभर सोया ॥ध्रु०॥
मनुजा देहि देवनकु दुर्लभ जन्म अकारन खोया ॥ मुसा०॥१॥
घर दारा जोबन सुत तेरा वामें मन तेरा मोह्या ॥ मुसा०॥२॥
सूरदास प्रभु चलेही पंथकु पिछे नैनूं भरभर रोया ॥ मुसा०॥३॥
 
३७.
जय जय श्री बालमुकुंदा । मैं हूं चरण चरण रजबंदा ॥ध्रु०॥
देवकीके घर जन्म लियो जद । छुट परे सब बंदा ॥ च०॥१॥
मथुरा त्यजे हरि गोकुल आये । नाम धरे जदुनंदा ॥ च०॥२॥
जमुनातीरपर कूद परोहै । फनपर नृत्यकरंदा जमुनातीरपर कूद परोहै ।
फरपर नृत्यकरंदा ॥ च०॥३॥
सूरदास प्रभु तुमारे दरशनकु । तुमही आनंदकंदा ॥ च०॥४॥
 
३८.
निरधनको धनि राम । हमारो०॥ध्रु०॥
खान न खर्चत चोर न लूटत । साथे आवत काम ॥ह०॥१॥
दिन दिन होत सवाई दीढी । खरचत को नहीं दाम ॥ह०॥२॥
सूरदास प्रभु मुखमों आवत । और रसको नही काम हमारो०॥३॥
 
३९.
अद्‌भुत एक अनुपम बाग ॥ध्रु०॥
जुगल कमलपर गजवर क्रीडत तापर सिंह करत अनुराग ॥१॥
हरिपर सरवर गिरीवर गिरपर फुले कुंज पराग ॥२॥
रुचित कपोर बसत ताउपर अमृत फल ढाल ॥३॥
फलवर पुहूप पुहुपपर पलव तापर सुक पिक मृगमद काग ॥४॥
खंजन धनुक चंद्रमा राजत ताउपर एक मनीधर नाग ॥५॥
अंग अंग प्रती वोरे वोरे छबि उपमा ताको करत न त्याग ॥६॥
सूरदास प्रभु पिवहूं सुधारस मानो अधरनिके बड भाग ॥७॥
 
४०.
तबमें जानकीनाथ कहो ॥ध्रु०॥
सागर बांधु सेना उतारो । सोनेकी लंका जलाहो ॥१॥
तेतीस कोटकी बंद छुडावूं बिभिसन छत्तर धरावूं ॥२॥
सूरदास प्रभु लंका जिती । सो सीता घर ले आवो ।
तबमें जानकीनाथ०॥३॥
 
४१.
कमलापती भगवान । मारो साईं कम०॥ध्रु०॥
राम लछमन भरत शत्रुघन । चवरी डुलावे हनुमान ॥१॥
मोर मुगुट पितांबर सोभे । कुंडल झलकत कान ॥२॥
सूरदास प्रभु तुमारे मिलनकुं । दासाकुं वांको ध्यान ।
मारू सांई कमलापती० ॥३॥
 
४२.
उधो मनकी मनमें रही ॥ध्रु०॥
गोकुलते जब मथुरा पधारे । कुंजन आग देही ॥१॥
पतित अक्रूर कहासे आये । दुखमें दाग देही ॥२॥
तन तालाभरना रही उधो । जल बल भस्म भई ॥३॥
हमरी आख्या भर भर आवे । उलटी गंगा बही ॥४॥
सूरदास प्रभु तुमारे मिलन । जो कछु भई सो भई ॥५॥
 
४३.
नारी दूरत बयाना रतनारे ॥ध्रु०॥
जानु बंधु बसुमन बिसाल पर सुंदर शाम सीली मुख तारे ।
रहीजु अलक कुटील कुंडलपर मोतन चितवन चिते बिसारे ।
सिथील मोंह धनु गये मदन गुण रहे कोकनद बान बिखारे ।
मुदेही आवत है ये लोचन पलक आतुर उधर तन उधारे ।
सूरदास प्रभु सोई धो कहो आतुर ऐसोको बनिता जासो रति रहनारे ॥१॥
 
४४.
अति सूख सुरत किये ललना संग जात समद मन्मथ सर जोरे ।
राती उनीदे अलसात मरालगती गोकुल चपल रहतकछु थोरे ।
मनहू कमलके को सते प्रीतम ढुंडन रहत छपी रीपु दल दोरे ।
सजल कोप प्रीतमै सुशोभियत संगम छबि तोरपर ढोरे ।
मनु भारते भवरमीन शिशु जात तरल चितवन चित चोरे ।
वरनीत जाय कहालो वरनी प्रेम जलद बेलावल ओरे ।
सूरदास सो कोन प्रिया जिनी हरीके सकल अंग बल तोरे ॥१॥
 
४५.
रैन जागी पिया संग रंग मीनी ॥ध्रु०॥
प्रफुल्लित मुख कंज नेन खजरीटमान मेन मिथुरी । रहे चुरन कच बदन ओप किनी ॥१॥
आतुर आलस जंभात पूलकीत अतिपान खाद मद । माते तन मुधीन रही सीथल भई बेनी ॥२॥
मांगते टरी मुक्तता हल अलक संग अरुची रही ऊरग । नसत फनी मानो कुंचकी तजी दिनी ॥३॥
बिकसत ज्यौं चंपकली भोर भये भवन चली लटपटात । प्रेम घटी गजगती गती लिन्हा ॥४॥
आरतीको करत नाश गिरिधर सुठी सुखकी रासी सूरदास । स्वामीनी गुन गने न जात चिन्ही ॥५॥
 
४६.
खेलिया आंगनमें छगन मगन किजिये कलेवा । छीके ते सारी दधी उपर तें कढी धरी पहीर ।
लेवूं झगुली फेंटा बाँधी लेऊं मेवा ॥१॥
गवालनके संग खेलन जाऊं खेलनके मीस भूषण ल्याऊं । कौन परी प्यारे ललन नीसदीनकी ठेवा ॥२॥
सूरदास मदनमोहन घरही खेलो प्यारे । ललन भंवरा चक डोर दे हो हंस चकोर परेवा ॥३॥

४७.
काना कुबजा संग रिझोरे । काना मोरे करि कामारिया ॥ध्रु०॥
मैं जमुना जल भरन जात रामा । मेरे सिरपर घागरियां ॥ का०॥१॥
मैं जी पेहरी चटक चुनरिया । नाक नथनियां बसरिया ॥ का०॥२॥
ब्रिंदाबनमें जो कुंज गलिनमो । घेरलियो सब ग्वालनिया ॥ का०॥३॥
जमुनाके निरातीर धेनु चरावे । नाव नथनीके बेसरियां ॥ का०॥४॥
सूरदास प्रभु तुमरे दरसनकु । चरन कमल चित्त धरिया ॥ का०॥५॥
 
४८.
कोण गती ब्रिजनाथ । अब मोरी कोण गती ब्रिजनाथ ॥ध्रु०॥
भजनबिमुख अरु स्मरत नही । फिरत विषया साथ ॥१॥
हूं पतीत अपराधी पूरन । आचरु कर्म विकार ॥२॥
काम क्रोध अरु लाभ । चित्रवत नाथ तुमही ॥३॥
विकार अब चरण सरण लपटाणो । राखीलो महाराज ॥४॥
सूरदास प्रभु पतीतपावन । सरनको ब्रीद संभार ॥५॥
 
४९.
चोरी मोरी गेंदया मैं कैशी जाऊं पाणीया ॥ध्रु०॥
ठाडे केसनजी जमुनाके थाडे । गवाल बाल सब संग लियो ।
न्यारे न्यारे खेल खेलके । बनसी बजाये पटमोहे ॥ चो०॥१॥
सब गवालनके मनको लुभावे । मुरली खूब ताल सुनावे ।
गोपि घरका धंदा छोडके । श्यामसे लिपट जावे ॥ चो०॥२॥
सूरदास प्रभू तुमरे चरणपर । प्रेम नेमसे भजत है ।
दया करके देना दर्शन । अनाथ नाथ तुमारा है ॥ चो०॥३॥
 
५०.
खेलने न जाऊं मैया ग्वालिनी खिजावे मोहे ।
पीत बसन गुंज माला लेती है छुडायके ॥ध्रु०॥
कोई तेरा नाम लेके लागी गारी मोकु देण ।
मैं भी वाकूं गारी देके आयहुं पलायके ॥ खे०॥१॥
कोई मेरा मुख चुंबे भवन बुलाय केरी ।
कांचली उतार लेती देती है नचायके ॥ खे०॥२॥
सूरदास तो तलात नमयासु कहत बात हांसे ।
उठ मैया लेती कंठ लगायके । खेलनेन जाऊं ॥ खे०॥३॥