भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भज मन शंकर भोलानाथ भज मन / मीराबाई

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:56, 19 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> भज मन शंकर भोलानाथ भज मन॥ध्रु०॥ अं...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भज मन शंकर भोलानाथ भज मन॥ध्रु०॥
अंग विभूत सबही शोभा। ऊपर फुलनकी बास॥१॥
एकहि लोटाभर जल चावल। चाहत ऊपर बेलकी पात॥२॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। पूजा करले समजे आपहि आप॥३॥