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07:57, 6 जून 2010 का अवतरण
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भरी हुई है प्रीत से सभी के मन की झोलियाँ
भले ही अपने सामने नए-नए सवाल हो
मगर हर सवाल का जवाब हम जवाब तुम
भले ही हम में तुम में कुछ रूप-रंग में भेद हो
है खुशबुओ में फर्क क्या गुलाब हम गुलाब तुम
चलो कि आज मिल के साथ राष्ट्र वन्दना करें
सभी दिलो में एक रंग सिर्फ प्यार का भरे
चलो कि आज मिल के हम खाए ये एक कसम
स्वदेश के लिए जिए-स्वदेश के लिए मरे
तुम्हे कसम है कि तुम कभी न एक पल भी टूटना
के देश के खुले नयन, ख्वाब हम ख्वाब तुम