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भाई / रसूल हम्ज़ातव
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आज से बारह बरस पहले बड़ा भाई मिरा
स्तालिनग्राद की जंगाह<ref>युद्धभूमि</ref> में काम आया था
मेरी माँ अब भी लिए फिरती है पहलू में ये ग़म
जब से अब तक है वह तन पे रिदा-ए-मातम<ref>शोक की चादर</ref>
और उस दुख से मेरी आँख का गोशा तर है
अब मेरी उम्र बड़े भाई से कुछ बढ़कर है
शब्दार्थ
<references/>