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"भारत की गौरव गाथा को / सोना श्री" के अवतरणों में अंतर

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भारत की गौरव गाथा को सारी दुनिया गाती है।
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भारत की गौरव गाथा को  
यहाँ शौर्य की विजय पताका कण-कण में लहराती है।।
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सारी दुनिया गाती है।
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यहाँ शौर्य की विजय पताका
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"वीर शिवाजी", "महाराणा" सम जहाँ पुत्र बलवान हुए,
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"वीर शिवाजी", "महाराणा"  
जहाँ देश की आजादी को लाखों सर कुर्बान हुए,  
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सम यहाँ पुत्र बलवान हुए,
अमर शहीदों के बलिदानों की ये अनुपम थाती है।
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यहाँ देश की आजादी हित
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लाखों सिर कुर्बान हुए, 
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अमर शहीदों के बलिदानों  
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की ये अनुपम थाती है।
  
बुंदेलों के मुँह पर "लक्ष्मीबाई" की गाथाएं हैं,  
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बुंदेलों के मुँह पर  
"जीजाबाई", "पन्नादाई" जैसी जहां माताएं हैं,  
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"लक्ष्मीबाई" की गाथाएं हैं, 
बेटी "नीरजा" के साहस पर दुनिया शीश झुकाती है।
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"जीजाबाई", "पन्नादाई"  
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सदृश हुईं माताएं हैं, 
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पुत्री "नीरजा" के साहस पर  
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दुनिया शीश झुकाती है।
  
धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की भूमि, जहाँ पे हल्दीघाटी है,  
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धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र यहीं पर,  
वीरों के शोणित से उर्वर जहाँ देश की माटी है,
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गौरव हल्दीघाटी है, 
मात भारती वीर-शीश पर अपना तिलक लगाती है।
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वीरों के शोणित से उर्वर  
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यहाँ देश की माँटी है,
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मात भारती वीर-शीश पर  
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अपना तिलक लगाती है।
 
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10:16, 11 जुलाई 2019 का अवतरण

भारत की गौरव गाथा को
सारी दुनिया गाती है।
यहाँ शौर्य की विजय पताका
कण-कण में लहराती है।।

"वीर शिवाजी", "महाराणा"
सम यहाँ पुत्र बलवान हुए,
यहाँ देश की आजादी हित
लाखों सिर कुर्बान हुए, 
अमर शहीदों के बलिदानों
की ये अनुपम थाती है।

बुंदेलों के मुँह पर
"लक्ष्मीबाई" की गाथाएं हैं, 
"जीजाबाई", "पन्नादाई"
सदृश हुईं माताएं हैं, 
पुत्री "नीरजा" के साहस पर
दुनिया शीश झुकाती है।

धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र यहीं पर,
गौरव हल्दीघाटी है, 
वीरों के शोणित से उर्वर
यहाँ देश की माँटी है,
मात भारती वीर-शीश पर
अपना तिलक लगाती है।