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भावना को नमन कीजिए / चेतन दुबे 'अनिल'

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भावना को नमन कीजिए
पीर का आचमन कीजिए

प्रेम की वेदिका में प्रिये!
आँसुओं का हवन कीजिए

अपने मन से शुभे! आज तुम
वासना का हनन कीजिए

किस तरफ पग बढ़ाकर चलीं
प्रेम - पथ पर गमन कीजिए

आँसुओं में नहाए सपन
प्राण! उनका शमन कीजिए

सब लुटाकर मिला दर्द ये
दर्द का मत दमन कीजिए

जो ये पतझार है ज़िन्दगी
प्राण! उसको चमन कीजिए