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Kavita Kosh से
अब रहा न तेरी पावनता में मीन-मेष
बीती तम दुख की दुःखतम-निशा, सुखों का प्रात देख
मुनि-रोषानल में तप कर निर्मल कनक-रेख,
पढ़ आज, अहल्ये! नूतन जीवन-भाग्य-लेख
जो तेरे हित लाया हूँ’
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