भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भोला राम जल्दी-जल्दी / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:04, 18 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=एक और दिन / अवतार एनगिल }} <poem> ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसके मित्र कहते हैं
भोला राम आदतन तेज़ चलता है
चलता क्या भागता है-
और तो और
बॉस के सामने भी तेज़-तेज़ बोलता है
अक्सर आप
सब्ज़ी मण्डी में झोला लहराते भागते
भोला राम को देख सकते हैं
थोड़े चौकस हैं तो मौका पाकर
जल्दी-जल्दी
दो-चार बातें भी कर सकते हैं
पहली तारीख़ का वेतन मिलते ही
वह रजिस्टर में शाम की हाजिरी भर देता है
अन्यथा वह अस्पताल जाने का बहाना बनाकर
बाज़ार की दिशा में भाग निकलता है
(ताकि सनद रहे
बीमारी की पर्ची बनवाकर टॉनिक खरीदना नहीं भूलता)

एक नहीं, अनेक बार ऐसा हुआ
भागते-भागते भोला राम
मंहगाई से भी आगे निकल गया
और चाय की पत्ती का डिब्बा
दाम बढ़ने से पहले
पुरानी दर पर
खरीद लाने में
सफल हो गया
साक्षात भागमभाग है भोला
भागते-भागते बस पकड़ता है
भागते-भागते हत्था छोड़ता है
और जब तक बस रुके
वह सामने वाली लिफ्ट के दरवाज़े पर...
दरवाज़ा बंद होने से पहले
भूत की तरह
प्रकट हो ज़ाता है
फिर सबसे पहले बाहर निकलकर
अगली कतार में
बहीं बीच,
किसी की चिचोरी करते हुए
लग जाता ह्ऐ भोला राम
वह सुबह जल्दी उठता है
रात को जल्दी सोता है
ज़ाहिर है हर काम जल्दी शुरू करता है
लिहाज़ा जल्दी फारिग होता है

नाश्ता मेज़ पर लगते-लगते
दो परांठे खा जाना
औ' बच्चों को मेज़ पर पहुँचते-पहुँचते
उसका हाथ होते धोते होना
रोज़मर्रा की बात है
सहेलियों संग बतियाते हुए
उसकी बीवी चुटकी लेती है
क्या बताऊं
हर काम में
भगदड़ मचाते हैं
काम पीछे रह जाता है
खुद आगे निकल जाते
हुआ यूं कि कल सुबह
आपके मित्र राम प्यारे
राम जी को प्यारे हो गए
समाजसेवी हम चार यार इकट्ठे हुए
दाह-संस्कार के लिए
उपयुक्त लकड़ी का प्रबंध करने के लिए
एक अग्रिम दस्ते के साथ
हमें श्मशान घाट भेजा गया
धर्मकाँट पर लटकी तुली
भोला राम मे भुगतान किया
छोटी-बड़ी लकड़ियां अलग करते हुए
घड़ी की सुई
पाँच पर अटक गई
और हमारे देखते-देखते
भोला राम की गर्दन
मस्त राम बाबू के कंधे पर लटक गई