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"मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या है / आलोक श्रीवास्तव-१" के अवतरणों में अंतर
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जब भी चाहेगा छीन लेगा वो | जब भी चाहेगा छीन लेगा वो | ||
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तुम हमारे क़रीब बैठे हो | तुम हमारे क़रीब बैठे हो | ||
− | अब दवा कैसी अब दुआ क्या है | + | अब दवा कैसी, अब दुआ क्या है |
− | चाँदनी आज | + | चाँदनी आज किसलिए नम है |
चाँद की आँख में चुभा क्या है | चाँद की आँख में चुभा क्या है | ||
19:33, 25 मार्च 2022 के समय का अवतरण
मंज़िलें क्या हैं रास्ता क्या है
हौसला हो तो फ़ासला क्या है
वो सज़ा देके दूर जा बैठा
किससे पूछूँ मेरी ख़ता क्या है
जब भी चाहेगा छीन लेगा वो
सब उसी का है, आपका क्या है
तुम हमारे क़रीब बैठे हो
अब दवा कैसी, अब दुआ क्या है
चाँदनी आज किसलिए नम है
चाँद की आँख में चुभा क्या है
ख़्वाब सारे उदास बैठे हैं
नींद रूठी है, माजरा क्या है
बेसदा काग़ज़ों में आग लगा
अपने रिश्ते को आज़्मा, क्या है
गुज़रे लम्हों की धूल उड़ती है
इस हवेली में अब रखा क्या है