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"मंज़िल हमारी और है रस्ते हमारे और / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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फूलों की  तरह  लोग हमें तोड़ते रहे
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हँसना हमारा और है दुखड़े हमारे और
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ज्वालामुखी की आँख से आँसू निकल पड़े
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दरिया हमारा और है क़तरे हमारे और
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रेशम का भी बंधन हमें मंजूर नहीं  है
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चाहत हमारी और है रिश्ते हमारे और
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भूखें हैं लोग बात सितारों  की हो रही
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फ़सलें हमारी और हैं सपने हमारे और
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वो और हैं क़लम जो बेचकर के पी गये
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मस्ती हमारी और है जलवे हमारे और
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शब्दों की धार को कभी मरने नहीं दिया
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ग़ज़लें हमारी और हैं नग़मे हमारे और
 
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19:30, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

मंज़िल हमारी और है रस्ते हमारे और
दुनिया हमारी और है मसले हमारे और

फूलों की तरह लोग हमें तोड़ते रहे
हँसना हमारा और है दुखड़े हमारे और

ज्वालामुखी की आँख से आँसू निकल पड़े
दरिया हमारा और है क़तरे हमारे और

रेशम का भी बंधन हमें मंजूर नहीं है
चाहत हमारी और है रिश्ते हमारे और

भूखें हैं लोग बात सितारों की हो रही
फ़सलें हमारी और हैं सपने हमारे और

वो और हैं क़लम जो बेचकर के पी गये
मस्ती हमारी और है जलवे हमारे और

शब्दों की धार को कभी मरने नहीं दिया
ग़ज़लें हमारी और हैं नग़मे हमारे और