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मत मरने दो प्रेम को / सपफ़ो / नीता पोरवाल

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मत मरने दो प्रेम को
और प्रेम की भावना को
 
आसमान के उस पार
सुनहले सिंहासन पर विराजमान ईश्वर
फरियादी के इस दर्द को सुनता है
उपचार के जतन भी करता है

आओ , प्रेम की पुकार सुनकर
एक बार तो आओ

चुनरी की तरह ओढ़े उस लड़की की
प्रेम में सराबोर यह पुकार
पिता के घर से होती
सुनहरे गुम्बद के इर्द गिर्द गूंजती है

और तब
कान्तिमय छटा वाली
वह शाश्वत मुस्कान, जिससे मैं परिचित था
कुछ दिलासे भरी आवाज़ें सुनकर तुरत
प्रेम के टिकाव के क़िस्सों पर सवाल कर उठती है

पर ऐसी फरियाद क्यों ? और किस लिए ?
दीवानगी लिए मेरे इस मंत्रमुग्ध कर देने वाले
राग को ,इस धुन को हर पंक्ति मे घुलना ही चाहिए
हिलोरें लेती मेरी इस ललक को
भला कौन गलत साबित कर सकेगा ?

सो शीघ्रता उस
मुरझाए हुए को खिलाने के लिए
शीघ्रता , उस प्रेम के लिए
जिसने चली आ रही लम्बी
अर्जित उदासीनता के कारण
खुद अपनी ही वापसी रद्द कर दी थी
 
इसतरह प्रेम से वंचित लोगों के लिए
एक बेशकीमती उपहार होगा प्रेम
सो वापसी की तड़प रखती
उस लड़की की पुकार जरूर
सुनी जाएगी और तब
गहरी उदासी से मुक्त हो
एकमात्र विजेता होगा प्रेम ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीता पोरवाल