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"मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन
 
मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन
 
सूख रहा नयनों के सम्मुख प्यारा नंदन कानन
 
सूख रहा नयनों के सम्मुख प्यारा नंदन कानन
छुटती  नहीं हास-फुलझड़ियाँ,चलते हैं दृग-बाण न
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छुटतीं नहीं हास-फुलझड़ियाँ, चलते हैं दृग-बाण न
आठ पहर रोटी वन्रानी नीचा करके आनन्
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आठ पहर रोटी वनरानी  नीचा करके आनन
 
लता-विटप उलझे, झुलसे तृण, फिरते मृग-पंचानन
 
लता-विटप उलझे, झुलसे तृण, फिरते मृग-पंचानन
 
बिना तुम्हारे उजड़ गयी वह सुषमा आनन-फानन
 
बिना तुम्हारे उजड़ गयी वह सुषमा आनन-फानन
 
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02:42, 21 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


उर्वशी --
मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन
सूख रहा नयनों के सम्मुख प्यारा नंदन कानन
छुटतीं नहीं हास-फुलझड़ियाँ, चलते हैं दृग-बाण न
आठ पहर रोटी वनरानी नीचा करके आनन
लता-विटप उलझे, झुलसे तृण, फिरते मृग-पंचानन
बिना तुम्हारे उजड़ गयी वह सुषमा आनन-फानन