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"मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
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प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में | प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में | ||
− | + | जी का विश्व बसा दो मालिक! | |
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रागें हैं लाचारी मेरी, | रागें हैं लाचारी मेरी, | ||
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तानें बान तुम्हारी मेरी, | तानें बान तुम्हारी मेरी, | ||
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इन रंगीन मृतक खंडों पर, | इन रंगीन मृतक खंडों पर, | ||
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अमृत-रस ढुलका दो मालिक! | अमृत-रस ढुलका दो मालिक! | ||
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मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
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जब मेरा अलगोजा बोले, | जब मेरा अलगोजा बोले, | ||
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बल का मणिधर, स्र्ख रख डोले, | बल का मणिधर, स्र्ख रख डोले, | ||
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खोले श्याम-कुण्डली विष को | खोले श्याम-कुण्डली विष को | ||
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पथ-भूलना सिखा दो मालिक! | पथ-भूलना सिखा दो मालिक! | ||
+ | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
+ | कठिन पराजय है यह मेरी | ||
+ | छवि न उतर पाई प्रिय तेरी | ||
+ | मेरी तूली को रस में भर, | ||
+ | तुम भूलना सिखा दो मालिक! | ||
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
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प्रहर-प्रहर की लहर-लहर पर | प्रहर-प्रहर की लहर-लहर पर | ||
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तुम लालिमा जगा दो मालिक! | तुम लालिमा जगा दो मालिक! | ||
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मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
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01:49, 7 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में
जी का विश्व बसा दो मालिक!
रागें हैं लाचारी मेरी,
तानें बान तुम्हारी मेरी,
इन रंगीन मृतक खंडों पर,
अमृत-रस ढुलका दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
जब मेरा अलगोजा बोले,
बल का मणिधर, स्र्ख रख डोले,
खोले श्याम-कुण्डली विष को
पथ-भूलना सिखा दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
कठिन पराजय है यह मेरी
छवि न उतर पाई प्रिय तेरी
मेरी तूली को रस में भर,
तुम भूलना सिखा दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
प्रहर-प्रहर की लहर-लहर पर
तुम लालिमा जगा दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!