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मन रे पासि हरि के चरन / मीराबाई

No change in size, 14:10, 8 अक्टूबर 2022
|रचनाकार=मीराबाई
}}
मन रे पासि परसि हरि के चरन।
सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध - ज्वाला- हरन।
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