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मन (2) / कन्हैया लाल सेठिया

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जद कोनी
थिर
पाणी,पून
धरती, अगन
किंयां हुसी
थिर
अचपळो मन ?
कोनी छोडै बो
आप रो धरम
थिर
खाली गगण
जको सिसटी रो कारण
मान बीं नै
ईठ
कर साधना
बण ज्यासी
आतमा, परमातमा !