भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मांय बैठयो चोर / इरशाद अज़ीज़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= इरशाद अज़ीज़ |अनुवादक= |संग्रह= मन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:17, 15 जून 2020 के समय का अवतरण

चोर-चोर! कूक्यां सूं
नीं पकड़ीजै चोर
काच साम्हीं जावां जणै
निजरां नीची हुवण रो
मतलब कांई होवै
थूं जाणै है?
सुण, काच, मुळक’र
आ ईज तो कैवै है-
औ म्हासूं निजरां कांई मिलासी
जिको आपरै मांय बैठ्यै
चोर नैं नीं पकड़ सकै
रूस ना म्हारा भायला
कै तो काच फोड़ दै
कै पछै चोर पकड़लै।