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मां: 6 / मीठेश निर्मोही

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सूरज रै ओझाड्यां
सबदां री सळवळ
गूंजण लागै
आखौ बिरमांड

सबदां नै सूंपण
नुंवा अरथ
आंचळ पसरावै
थूं।