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मानखै रो माजनो / मोहम्मद सद्दीक

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बजार रै बीचो बीच
चालती सड़क रै किनारै
मिठायां री मोटी मोटी दुकानां रै
सामो साम
हां हां सरै आम
बोदीसी दुकान में
चोखी, चेत्योड़ी भट्टी पर
लो‘री मोटी कड़ाई में
उकळतो तेल
तेल में तळीजता
अणगिणती रा गुलगुला।
एडै-छेड़ै
आसै-पासै
खरीद री उडीक में
घणमोलाऊ गिरायक।
काचा-पाका
झरिये में झा‘र
दुकानदार
नाखलिया मोटे सारै कूंडै में
किलो-अध किलोरा लेवणिया
गुलगुला ले‘र
आप आपरै लाडलै लाडैसरां पर
ऊंवार ऊंवार‘र
लुटावण लाग्या
चीलकां नै कागलां नै
देवै आछो उछाळो
ऊंचो आकास में
मायत सैण
टाबरां री ईड़ा-पीड़ा
अलाए-बलाए रो
निस्तारो करण सारू
टाबरां रै निरोग होणरी आस में
ओ‘ सरब ओपतो कारज करता
सरै आम मानखै रै सामो साम
कमतरिया सैण
आज भी देखण में आवै।
बीजळी रै खम्बां माथै
बीजळी रै तारां पर
बैठी चीलकां-
बैठ्या है कुचमादी कागला
उड्डण री उडीक में
आप-आपरी
चूंच सारू गुलगुलां रो
उतारो लेता जावे
घणी जोग जुगत रै उपरान्त
ऊपर नै फैंक्योड़ा गुलगुला
कदास
नीचै चालती
सड़क पर पड़तांई
आप-आप री भूख रै परवाण
मानखै री मरोड़ नै बे मोत मार‘र
पेट री अणबुझ आंच नै बुझाण
धायोड़ै गन्डकां रै बीचो बीच
रळतां भिळतां
सेळ-भेळ
थारै-म्हारै टाबरां सिरसा
भूखा टाबर
सड़क पर पड़तै गुलगुलां नै
चील कागला कुत्तां ऊं
लपक अ‘र लेवण री
फुड़तीली चेस्टा में
मिनखा चारै नै बिसराय
कूद जावै इण अनोखे जुद्ध में
जै कदास
हाथ आ जावै एक आध मीठो गुलगुलो
घणै चाव घणै कोड सूं करै
आप आपरो मूंडो मीठो
उतारो उतारणियां रो उतारो लेवै
लोगां री लेवै
अलाए-बलाए
हिम्मत रै पाण झेलै
ईड़ावां-पीड़ावां नै
थम जावै चालती सड़क
देखण सारू ओ‘ ओपतो नजारो
निसरमी भीड़ हक्की बक्की होय
कुत्तां कागलां रो
चील अ‘र भूखै टाबरां रो
रेल-पेत होवतो खेल
बरसां ऊं देखती आई है
गुलगुला उच्छाळणिया लोग
मानखै रै माथै में सांपरतै
नाख दीनी धूळ
आपरै मन में राजी होवणिया
मायत सैण
आपरै सुवारथ सारू
नाजोगै गन्डकां भेळा भिळतां
भूखै टाबरां नै देखै
निसकारो नाखै
दुरासीस री दीठ नाखतां थकां
बांनै देखूं तो मन्नै इयां लागै
जाणै
कड़ाई में सिकता सगळा गुलगुला
उकळते तेल में
समूचै मानखै रो माजनो
तळीजर्यो है
बोदे संस्कारां रा सांप
आज भी म्हारी पीढ़ी नै
डस्सण लागर्या है।