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मान-मान मान सजन / शिवदीन राम जोशी

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<poet> मान-मान मान सजन,बात मेरी मान रे ! शिवदीन शरण संत की, करो ना गुमान रे || वक्त आगया कुराज, राखि रहे संत लाज | (कुराज=कुशासन) बिगरे ना काज कोई, करो कछु ज्ञान रे || चूक-चूक चूक भई, समय गई सो गई | समय है,रही को राखि, रहे आन बान रे || छन-छन, छनक रही,उमर ये बीत गई | (छन = क्षण ) बाकी दिन बहार देख, सुखी होय प्राण रे || संत कहे चेत-चेत,अबभी कर हरी से हेत | मन तो है ढलेत, शीघ्र कर तू पिछान रे ||