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"मापदण्ड सब अलग-अलग हैं दुनिया बड़ी सयानी / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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वो  बोले  तो  वेदवाक्य,  मैं  बोलूँ  तो अज्ञानी।
 
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एक हमारी पीड़ा है, पर अलग-अलग  पैमाना,
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उसका रोना ख़ून का रोना, मेरा रोना पानी।
 
उसका रोना ख़ून का रोना, मेरा रोना पानी।
  
लोगों को वश में करने का उसे तरीका आता,
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वो जादूगर जब चाहे तो आग से निकले पानी।
 
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मैं ग़रीब हूँ घर जाऊँ तो बीवी मुँह बिचकाये,
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मैं ग़रीब हूँ घर जाऊँ तो बीवी मुँह बिचकाये
 
वो अमीर चलता है तो सौ जन करते अगुआनी।
 
वो अमीर चलता है तो सौ जन करते अगुआनी।
 
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17:15, 23 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

मापदण्ड सब अलग-अलग हैं दुनिया बड़ी सयानी
वो बोले तो वेदवाक्य, मैं बोलूँ तो अज्ञानी।

एक हमारी पीड़ा है, पर अलग-अलग पैमाना
उसका रोना ख़ून का रोना, मेरा रोना पानी।

लोगों को वश में करने का उसे तरीका आता
वो जादूगर जब चाहे तो आग से निकले पानी।

मैं ग़रीब हूँ घर जाऊँ तो बीवी मुँह बिचकाये
वो अमीर चलता है तो सौ जन करते अगुआनी।