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"मिल गयी क्या तेरी आँखों में झलक प्यार की थी! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मिल गयी क्या तेरी आँखों में झलक प्यार की थी!
 
मिल गयी क्या तेरी आँखों में झलक प्यार की थी!
आख़िरी वक्त तड़प और ही बीमार की थी
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आख़िरी वक़्त तड़प और ही बीमार की थी
  
 
यों चलाई थी छुरी उसने गले पर हँसकर
 
यों चलाई थी छुरी उसने गले पर हँसकर
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दोष लहरों का नहीं था न किनारों का क़सूर
 
दोष लहरों का नहीं था न किनारों का क़सूर
दिल की पतवार तो खुद ही बिना पतवार की थी
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दिल की पतवार तो ख़ुद ही बिना पतवार की थी
  
 
भेद तेरा उसे कोयल न कह गयी हो, गुलाब!
 
भेद तेरा उसे कोयल न कह गयी हो, गुलाब!
 
आज बदली हुई चितवन भी कुछ बहार की थी
 
आज बदली हुई चितवन भी कुछ बहार की थी
 
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01:29, 8 जुलाई 2011 का अवतरण


मिल गयी क्या तेरी आँखों में झलक प्यार की थी!
आख़िरी वक़्त तड़प और ही बीमार की थी

यों चलाई थी छुरी उसने गले पर हँसकर
हम ये समझे कि अदा यह भी कोई प्यार की थी

उसको गुमनाम ही रहने दो कोई नाम न दो
वह जो ख़ुशबू सी निगाहों में इंतज़ार की थी

दोष लहरों का नहीं था न किनारों का क़सूर
दिल की पतवार तो ख़ुद ही बिना पतवार की थी

भेद तेरा उसे कोयल न कह गयी हो, गुलाब!
आज बदली हुई चितवन भी कुछ बहार की थी